सर्दी खांसी और जुखाम
आजकल है ये मेरे मेहमान
तीन दिनों से पैर टिकाये
नहीं ले रहे जाने का नाम ।।
तीनों आये है पूरी तयारी संग
कोई दिखता नहीं किसी से कम
दिन रात है इनका पहरा ऐसा
बंद हुई खुशिओं की दुकान।।
शैतानी इनकी हरदम रहती जारी
नहीं मानते ये किसी की बात
जब डाक्टर आकर इनको धमकाता
ये बन जाते बिलकुल अन्जान।।
जब ये फरमाते है थोडा आराम
हमें भी मिलती है थोड़ी राहत
वरना इनकी जी-हुजूरी में
फंसी हुई है अपनी जान।।
बार- बार पूछता हूँ इनसे
अतिथि तुम कब जाओगे
ये मुस्कराकर देते है जबाब
बहुत दिन बाद मिले हो जजमान
सर्दी खांसी और जुखाम
आजकल है ये मेरे मेहमान ।।
आजकल है ये मेरे मेहमान
तीन दिनों से पैर टिकाये
नहीं ले रहे जाने का नाम ।।
तीनों आये है पूरी तयारी संग
कोई दिखता नहीं किसी से कम
दिन रात है इनका पहरा ऐसा
बंद हुई खुशिओं की दुकान।।
शैतानी इनकी हरदम रहती जारी
नहीं मानते ये किसी की बात
जब डाक्टर आकर इनको धमकाता
ये बन जाते बिलकुल अन्जान।।
जब ये फरमाते है थोडा आराम
हमें भी मिलती है थोड़ी राहत
वरना इनकी जी-हुजूरी में
फंसी हुई है अपनी जान।।
बार- बार पूछता हूँ इनसे
अतिथि तुम कब जाओगे
ये मुस्कराकर देते है जबाब
बहुत दिन बाद मिले हो जजमान
सर्दी खांसी और जुखाम
आजकल है ये मेरे मेहमान ।।