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Saturday, October 12, 2024

six words

वैसे आम .. मगर दिल से खास

#sws 

#sixswordsstories 


Thursday, May 23, 2024

पगडंडियां: कुछ सिक्स वर्ड स्टोरीज


1. हौसले रहते...पगडंडियां खत्म नहीं होती।


2. पगडंडियां उम्मीदें जगाती, हौसले हो अगर।


3. पगडंडियां थकती नहीं, उम्मीदें खोने तक।



Saturday, August 12, 2023

जिंदगी की हकीकत

चलो आज मरते है

एक मौत

झूठ-मूठ की 

और देखते है

कितना अलग है

जिन्दगी रोज से

कितने लोग सच में रोते है

और कितने हमदर्द खुश होते है

पता तो चले हम जिन्दगी भर

परेशान रहे जिनके लिए

वो कितना परेशान है हमारे लिए

देखे इस जिन्दगी की

हकीकत क्या है।

Saturday, April 1, 2023

रोटी

 

रोटी


रोटी सिर्फ रोटी नहीं

तपन सपनो की

मिठास प्यार की

कारीगरी हाथो की

उम्मीद ख्वाबो की

और स्वाद तानो का

सच कितना कुछ है

माँ तुम्हारी इस रोटी में।

Wednesday, February 23, 2022

साज़िश

साज़िशों के 

इतने भँवर से 

हम गुज़रे है कि

तेरी हर साज़िश 

अब एक खेल सी 

लगती है ।

Wednesday, January 5, 2022

नींद

नींद

आने से पहले

आज फिर

गुजरी थी 

शोर मचाते हुये

तेरी खामोशियाँ

अब किस किस से छिपाऊँ

कि सुबह होने को आयी

नींद का इन्तेजार करते करते।

Sunday, December 19, 2021

यादें

 1.

आज पुरे दिन

मन में रही

एक सुखद सी शान्ती

सुबह  सुबह जो

उनकी यादो को 

इरेजर से मिटा दिया था

हमेशा के लिए।।


Monday, December 3, 2018

कुछ सिक्स वर्ड स्टोरीज -२

१.   फूल माली नहीं, कांटें बचाते हैं  ।

२.    मिलना था ...बीमारी की अफ़वाह फैलायी।

३.    ‘कल’ के लिए ‘आज’ खोया मैंने ।

४.   क़िस्मत में दर्द था ...मुहब्बत हुई ।

५.   जान जाए, ऐसा इम्तिहान न लीजिए ।


Saturday, December 16, 2017

कुछ सिक्स वर्ड स्टोरीज़

1.   ख़्वाहिशें मरती नहीं ...न मर पाउँगा।

2.    हम्हीं ज़ुल्म सहे, हम्हीं ज़ालिम कहलाये।

3.    सबसे मुश्किल है , इश्क़ छुपा लेना ।

4   वजूद रहे .... क़त्ल करी कई ख़्वाहिशें ।

5.   उन्हें नागवार गुज़रा, बग़ैर उनके जीना ।

Saturday, July 1, 2017

गाँव

चलो
अब लौट चले
वापस  अपने गाँव
जहाँ दिन की दुपहरी होगी
और नीम की छाँव

मक्के की तुम रोटी लाना
और सरसो का साग
ठंडी ठंडी पुरवईया में
मैं छेंडूगा
बिरहे का राग

जहाँ बचपन की होगी
मीठी यादें
दादा दादी के किस्से
खेल-खेल में
बनते और बिगड़ते
गुड्डा-गुड्डी के रिश्ते

जहाँ शहर की मारकाट से
दूर कहीं होंगी
अपने गाँवो  की गलियाँ
पनघट पर बैठ करेंगे
जीभर अठखेलियाँ

जहाँ छत भी अपनी होगी
सारा आसमाँ  अपना
अपने आँगन में
होगी चांदनी रातें
तुम सपनों में आ जाना
हम करेंगे मीठी बातें

अब ये शहर बेगाना लगता है
बेगाने से भाव
चलो
अब लौट चलें
वापस अपने गाँव ।।