नये दशक का नया भारत ( 4 ) :
सैनिक शिक्षा सबके लिये अनिवार्य हो
वर्षों पहले नाना पाटेकर ने प्रहार फिल्म के जरिये एक सपना देखा था , " सैनिक शिक्षा का और एक सार्थक सन्देश दिया था की देश के हर नागरिक को सैनिक शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए. आज के दौर में यह अवधारणा और भी महत्वपूर्ण हो गयी है .जरुरत है आज एक सार्थक कदम के साथ इस सैनिक शिक्षा की अनिवार्यता को समझा जाय और इस पर अमल लाने के प्रयास हो.सैनिक शिक्षा आखिर क्यों ?, सैनिक शिक्षा इस विचारधारा के साथ जुड़ी है कि देश के हर नागरिक को मिलिट्री ट्रेनिग अनिवार्य रूप से दी जाय. चाहे भले ही सबको हथियार और गोले बारूद इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग न जी जाय मगर कम से कम बेसिक चीजें अवश्य जुडी हो जैसे युद्ध , हवाई हमलों, आतंकवादी हमलों ,प्राकृतिक आपदाओं आदि में एक नागरिक को किस प्रकार सक्रिय होना चाहिए और उसकी क्या भूमिका हो सकती है ?
जरा संचिये , २६/११ जैसे मुंबई के आतंकवादी हमलों के बारे में और जो पहले भी हमले हो चुके है. सैनिक शिक्षा सिर्फ सीमा पर लड़ रहे जवानो से ही संबंधित नहीं हो सकती क्योंकि कई बार तो हालत देश के अंदर ही युद्ध जैसे भीषण हो जाते है. यह शांतिकाल में अपने नागरिकों की विपरीत परिस्थितियों में आत्म रक्षा से भी जुडी होनी चाहिए. सेना का जितना ही आक्रामक पहलू महत्वपूर्ण होता है उतना ही महत्वपर्ण अपना तथा अपने नागरिकों का बचाव भी होता है. ऐसे आतंकवादी हमलों के दौरान एक नागरिक का क्या कर्त्तव्य हो सकता है, मसलन वह कैसे अपने हो छिपा कर बचा सकता और फिर दूसरे फँसे लोंगों को कैसे बचाया जा सकता है. इसके अतिरिक्त आतंकवादियों से मोर्चा सम्हाले अपने जवानों की किस तरह से मदद की जा सकती है, यह सैनिक शिक्षा के माध्यम से हर नागरिक को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.
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लड़ाई सीमा पर जवान लड़ता है मगर उसकी यह लड़ाई बहुत हद तक उसके बैक अप , सप्लाई लाइन और पीछे से मिल रहे सहयोग पर निर्भर करती है . ऐसे में आम जनता की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. रसद , गोला बारूद और अन्य चीजों की सप्लाई में नागरिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है. सेना अकेले ही यह सब त्वरित गति से नहीं कर पाती ऐसे में अगर एक प्रशिक्षित जनता का पूरा सहयोग मिले तो बेहतर हो सकता है.
युद्ध के समय सिर्फ जवान ही नहीं मरता है वरन दुश्मन के हमलों में आम नागरिक भी मारे जाते है. हर नागरिक को यह पाता होना चाहिए की दुश्मन के जमीनी , हवाई , नुक्लियर बायोलोजिकल व केमिकल (NBC) जैसे हमलों मे किस तरह से सरवाईव करना है. हवाई हमलों के दौरान बलैक आउट और गड्ढों व बंकरों में छिपना तथा रासायनिक और जैविक हमलों के असर से किस तरह से कम प्रभावित हुए बचा जा सकता है, यह हर नागरिक के लिये जानना महत्वपूर्ण होना चाहिए.
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भारत एक विशाल देश है यहाँ प्राकृत आपदाओं के दौरान शहरी इलाकों में तो सैनिक मदद जल्दी पहुँच सकती है मगर जब ये हादसे दूर दराज के ग्रामीण इलाके और कठिन रास्तों पर होते है तो सैनिक मदद पहुँचाने में काफी वक्त लग जाता है और सैनिक मदद उन तक पहुंचते पहुंचते जन धन की काफी हानी हो चुकी होती है. अगर इन ऐसी घटनाओं से निपटने के प्रक्षिक्षण आम जनता के पास भी रहे तो ऐसी घटनाओं से होने वाली क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है.सेना और पैरा मिलिट्री का इंतजार किये बिना राहत कार्य हो उनके आने तक अंजाम दिया जा सकता है. इससे सेना पर निर्भरता भी कम होगी और हर आदमी कम से कम ऐसी घटनाओं से अपनी रक्षा करने में आत्मनिर्भर बन सकेगा .
सैनिक शिक्षा गुंडों , चेन स्निचरो और बदमाशों से निपटने में आम नागरिक के लिये लाभप्रद साबित हो सकती है. जो प्रशिक्षण ये गुंडे मवाली लेकर पब्लिक को डराने और लूटने आते है अगर वहीं आम नागरिक भी इन घटनाओं से निपटने में प्रशिक्षित हो तो उनका मुकाबला आसानी से किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त सैनिक शिक्षा नागरिकों को स्वयं को स्वस्थ और तंदरुस्त रखने की प्रेरणा देती है. यह त्वरित कार्यवाही और निर्णय लेने की क्षमता को भी मजबूत करती है.
रही बात तो, इतने बड़े विशाल राष्ट्र में यह मुश्किल तो जरुर है परन्तु असंभव नहीं . हम व्यवसायिक शिक्षा, सेक्स शिक्षा , शारीरिक और योग शिक्षा आदि पर तो बहस कर लेते है परन्तु सैनिक शिक्षा पर न के बराबर बहस हुई है. एक सार्थक प्रयास इस दिशा में होने चाहिए. पहले तो प्रारंभिक कक्षाओं से ही सैनिक शिक्षा एक अनिवार्य विषय करना चाहिए. इसके अतिरिक्त सैनिक शिक्षा के बारे में पत्राचार , सी डी , अख़बारों, टी वी इत्यादि के माध्यम से भी आम नागरिक को शिक्षित और जागरूक करना चाहिए. आज इजराईल का उदहारण हमारे सामने है जहाँ का हर नागरिक पहले देश का एक सैनिक है नागरिक बाद में.
इन्हें पढने के लिये कृपया इस लिंक पर क्लिक करें............................. नये दशक का नया भारत ( ३) : कैसे हो गाँवों का विकास ?
निश्चय ही ये बहुत अच्छी सोच है किन्तु भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे देश के कर्णधारों के खिलाफ भी जाती दिखती है । इसलिये इसका वास्तविक क्रियान्वय ?
ReplyDeleteजीवन में अनुशासन का महत्व तो है ही लेकिन शिक्षा, शिक्षक और विद्यार्थियों के 'कैप्टिव' इस्तेमाल पर भी विचार आवश्यक है.
ReplyDeleteआदरणीय उपेन्द्र "उपेन" जी
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने ....ऐसा होना चाहिए ...
बढ़िया विचारोत्तेजक आलेख. उपेन्द्र जी बहुत बहुत बधाई.
ReplyDelete.
ReplyDeleteआपकी बात से सहमत हूँ। कम से कम ऐसा प्रशिक्षण तो मिलना ही चाहिए की कोई भी आम नागरिक आपात स्थिति में अपनी सुरक्षा कर सके। इससे व्यक्ति में कांफिडेंस भी आएगा और वो डर-डर के नहीं जियेगा।
इत्तिफाक देखिये , कल ही प्रहार फिल्म देखी । बेहद प्रभावित हूँ उसकी थीम से । एक सैनिक के अनुकरणीय चरित्र ने बहुत प्रभावित किया।
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बिल्कुल .....अनुशासित व्यक्तित्व के लिए ज़रूरी है.... हमारी कार्यशैली में इसकी बहुत कमी है.... जो और कई तरह की कमियों को जन्म देती है..... इसके अलावा भी कई लाभ होंगें सैनिक शिक्षण के.....सहमत
ReplyDeletemera bhi hamesha se yahi maanna raha hai.. aapne dil ki baat kah di Upen ji.. :)
ReplyDeleteबहुत अच्छे विचार हैं आपके. कुछ देश हैं जहाँ स्कूली शिक्षा के बाद कुछ समय सेना में कार्य करना आवश्यक होता है .
ReplyDeleteअगर बाकी विषयों की तरह सैनिक शिक्षण भी दिया जाये तो नागरिक व्यक्तित्व विकास में काफी प्रभाव पड़ेगा.
सच कहा, इसी बहाने देश स्वस्थ रहेगा और अनुशासित भी।
ReplyDeleteबहुत सही कहा है आपने..बिल्कुल सहमत हूं। कमसेकम आत्मविश्वास तो बढ़ेगा किसी विपत्ति के समय हम खुद अपनी और अपने देश की रक्षा कर
ReplyDeleteसकेंगे...
बधाई,,,
http://veenakesur.blogspot.com/
बिल्कुल, मगर मेरी सोच थोडा भिन्न है , देश रक्षा का जहां तक सवाल है हमारे रण्बांकुरे काफ़ी है ! लेकिन ये सैन्य ट्रेनिंग उन हराम खोर नेताओ के लिये आवश्य्क बना दी जानी चाहिये जो सिर्फ़ अपना घर भरना चाह्ते है, कोई भी नेता एम पी और एम एल ये तभी बन सक्ता है जब उस्के पास सेना मे काम कर्ने का ५ साल का प्रमाण पत्र हो !
ReplyDeleteएक और फायदा इस्से यह है कि जिस किसी हराम्खोर नेता से मुक्ति पानी हो उसे बोर्दर पर ले जाकर टमका दो !
अभी दिक्कतें क्या कम हैं..
ReplyDeleteबदलते परिवेश में सैनिक शिक्षा के मायने भी थोडे से बदलने होगें। आज हमे ऐसे सैनिको की ज्यादा आवश्यकता है है जो देश के अंदर विघमान बुराइयों से मुकाबला कर सकें । जितना खतरा हमे वाह्य शक्तियों से है उससे कही ज्यादा हमें अपने देश मे पनप रही बुराइयों से है ।
ReplyDeleteदेश के प्रत्येक नागरिक को ऐसी शिक्षा मिलनी चाहिये ताकि बुराई नाम के दुश्मन से लडने में वो सक्षम हो ।
सहमत हे जी
ReplyDeleteहम भी इस हक में हैं। एक मजबूत देश और समाज के लिये यह जरूरी लगता है।
ReplyDeleteउम्दा सुझाव...
ReplyDeleteदेश के सुरक्षित भविष्य , नागरिकों के स्वयं के विकास के लिए भी यह शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए ...
बहुत बढ़िया !
hum aapke saath hai upendra ji , bilkul sahi khan hai aapne........jeevan me anushashan banaye rakhna bahut jaruri hai *********
ReplyDeleteजरूरी नहीं कि डंडे के जोर पर ही आप सही काम करना सीखें, अपने तन मन को स्वस्थ रखने के सामूहिक की बजाय व्यक्ितगत प्रयास ज्यादा सरल, लाभप्रद और कारगर होते हैं।
ReplyDeleteउपेन्द्र जी, बहुत सही सुझाव है। इस बहाने लोगों को अनुशासित करने और सुशिक्षित करने में बहुत मदद मिलेगी।
ReplyDelete---------
पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
विचारणीय मुद्दे पर कही गई सटीक बात!पर काश ऐसा हो पाता!सार्थक लेख के लिये बधाई!
ReplyDeleteसार्थक एवं उपयोगी पोस्ट !
ReplyDeleteमुझे लगता है इससे आत्म विश्वाष बढ़ने के साथ साथ अपनी और दूसरों की सुरक्षा की भावना भी मज़बूत होगी !
आज के माहौल में यह बेहद उपयोगी होगा !
बहुत अच्छे विचार हैं| इसी बहाने देश स्वस्थ रहेगा और अनुशासित भी।
ReplyDeleteआपके विचारों से सहमत.
ReplyDeleteआदरणीय उपेन्द्र जी
ReplyDeleteबढ़िया आलेख
बहुत सही कहा है आपने ....ऐसा होना चाहिए
वसन्त की आप को हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteकई दिनों से बाहर होने की वजह से ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
उपेंद्र बाबू! इस बात पर हमेशा ही चर्चा होती रहती है.. कई बार अलग अलग समय पर इस बात पर परिचर्चाएँ हुईं हैं!! आज आपने भी सही समय पर उठाया है इस मुद्दे को!!
ReplyDeleteसैनिक शिक्षा हर मायने में जरूरी है. इस सेवा में रहने वाले लोग शारीरिक मानसिक रूप से काफी चुस्त दुरुस्त (स्मार्ट एवं फिट-फाट) रहते हैं. आम लोगों की भांति इनमे डर भय या संशय की भावना प्राय: नहीं होती. इस शिक्षा की बदौलत ही ये जुझारू हो जाते है. सैनिक शिक्षा आत्मरक्षा में निपुण तो बनाता ही है, व्यक्तित्व विकास में भी सहायक है.
ReplyDeleteआपने सही कहा कि कई बार देश के अंदर ही हालत सीमा पर से भी भयकंर हो जाते है। इससे एक आम आदमी को निपटने के लिए सैनिक शिक्षा अनिर्वाय हो जाती है। आपकी सोच और दृष्टिकोण बिल्कुल सही है।
ReplyDeleteसहमत हूँ आपसे....
ReplyDeleteपांच सात वर्ष की अवस्था के बाद से फिजिकल फिटनेस से शुरू कर बाद में सैन्य शिक्षा देश के प्रत्येक नागरिक को देनी चाहिए..
सरकार सैनिकों और पुलिस के बल पर आतंरिक तथा बाह्य संकटों से आमजन को १००% सुरक्षा नहीं दे सकती..
बहुत ही उम्दा विचार हैं..शिक्षाविदों को इसपर ध्यान से सोचना चाहिए.
ReplyDeleteबच्चे ख़ुशी ख़ुशी इसमें भाग लेंगे क्यूंकि हर बच्चा जीवन में एक बार फौज में जाने की जरूर सोचता है.
ekdum sahi kaha apne...!
ReplyDeleteहम भी सहमति में हाथ उठा रहे हैं।
ReplyDeleteआपके इस विचार को मेरा समर्थन है।
ReplyDeleteए निवेदन-
मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।
जीवनरक्षा की शिक्षा तो मिलनी ही चाहिये!
ReplyDeleteदेश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सैनिक शिक्षा अब अनिवार्य कर देनी चाहिए।
ReplyDeleteसार्थक आलेख।
आदरणीय उपेन्द्र जी
ReplyDeleteएक दम सही कहा आपने
सैनिक शिक्षा देश जरूरी है सैनिक-शिक्षा के द्वारा ही हमारे युवक
छात्र - छातरा वास्तविक स्वरुप को धारण कर सकते हैं।
इस लिए भी सैनिक शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए ...
अभी हमारे परिवार में एक आर्मी वाले आ गए हैं, तो उनसे कुछ दिन पहले इस बाबत कुछ बात चल रही थी....वो लोग का जहाँ पोस्टिंग रहता है, वहां के आसपास वाले को वो सैन्य शिक्षा देते भी हैं :)
ReplyDeleteवृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर said...
ReplyDeleteडॉ. डंडा लखनवी जी के दो दोहे
माननीय डॉ. डंडा लखनवी जी ने वृक्ष लगाने वाले प्रकृतिप्रेमियों को प्रोत्साहित करते हुए लिखा है-
इन्हें कारखाना कहें, अथवा लघु उद्योग।
प्राण-वायु के जनक ये, अद्भुत इनके योग॥
वृक्ष रोप करके किया, खुद पर भी उपकार।
पुण्य आगमन का खुला, एक अनूठा द्वार॥
इस अमूल्य टिप्पणी के लिये हम उनके आभारी हैं।
http://pathkesathi.blogspot.com/
http://vriksharopan.blogspot.com/
आपकी बात से सहमती है ... इसलिए नहीं की जवानों की जरूरत है देश को ... बल्कि इसलिए भी की आज सबको अनुशाषित होने की जरूरत है .... देश प्रेम की जरूरत है ...
ReplyDeleteसही बात लिखी आपने...अच्छी पोस्ट.
ReplyDelete______________________________
'पाखी की दुनिया' : इण्डिया के पहले 'सी-प्लेन' से पाखी की यात्रा !
बहुत ही सही बात कही है आपने ... आज सबको अनुशाषित होने की जरूरत है ...
ReplyDeleteआपके विचारों से पूर्णतया सहमत । स्कूल कॉलेजों में ही नही वरन ऑफिसों में भी इस तरह की प्रशिक्षा जरूरी है तोकि कोई 10 आदमी आकर हमारे पूरे देश को बंधक न बनायें । समय सूचकता और सही एक्शन लेना ऐसे में बहुत जरूरी हो जाता है ।
ReplyDeleteAaapne bikul sahi kaha hai aapne
ReplyDeletebehtreen Post****
sir bahut khoob join me
ReplyDeletewww.architpandit.blogspot.com
प्रिय बंधुवर उपेन्द्र 'उपेन'जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
आशा है, सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
आपकी नई पोस्ट की प्रतीक्षा है ।
बहुत मननयोग्य रही नये दशक का नया भारत शृंखला
आपकी इन पोस्ट्स पर कई बार आया हूं …
होली की अग्रिम हार्दिक बधाई !
शुभकामनाएं !!
मंगलकामनाएं !!!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
बिल्कुल ठीक कहा है...ऐसी शिक्षा तो हमें मिलनी ही चाहिए....
ReplyDeleteउपेन्द्र उपेन जी नमस्कार बहुत सुन्दर और सार्थक विचार आप के
ReplyDeleteये प्रशिक्षण तो लोगों में अनुशासन पैदा करेगा और खुद को सब सुरक्षित रख सकेंगे लेकिन जब सब शिक्षित होंगे तो उसी में गुंडे बदमाश में भी शिक्षित हो जाते हैं जैसे कोई आतंकवादी सेना या अन्य रक्षा विभाग में -वैसे यन सी सी,जुडो कराटे और स्कावुट भी इसी लिए थे -
शुक्ल भ्रमर ५