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संसद हमले की 9 वीँ बरसी पर उन शहीदोँ को नमन और एक कविता उन्हीँ एक शहीद की जुबानी हम सबके लिये :-
माँ !
देश ने भले खोया हो
एक बहादुर सिपाही
मगर तुमने तो खोया
सिपाही के साथ
एक बेटा भी
एक माँ का दर्द बेटे से अच्छा
शायद ही कोई जाने
जिन लोगों ने
भारत माँ को दुत्कारा
वो किसी दूसरे के माँ के आँसू
क्या पोंछेगे ?
पत्नी !
मैँ अपराधी हूँ
तुम्हारें माथे का
सुहाग छिनकर
हाँ गर्व जरूर हुआ होता
जब मेरे जाने के बाद
तुम्हारे आँखोँ का आँसू
पोछने के लिये
एक अरब हिन्दुस्तानियोँ मेँ सेँ
एक हाथ भी उठा होता।
बेटा !
कब तक देखोगे
मेरे शहादत पर
घोषित फ्लैट का रास्ता
क्योँकि अब उसमेँ कोई
और काबिज है
राहत पैकेज
जो तुम तक पहुँचते पहुँचते
आधे से भी कम रह जायेगी
हमदर्दी
जिसकी जरूरत
मेरे ख्याल से
एक शहीद के बेटे को
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इसलिये अब उठो
अपने पैर पर खड़े होवो
और बिना किसी आसरे के
दुनिया को दिखलाओ
कि मैँ एक बहादुर शहीद का बेटा हूँ ।
और अन्त मेँ
मेरे प्यारे देशवाशियोँ !
शहीद के मरने के बाद
उसकी शहादत को
जिन्दा रखना सीखो
न कि सिर्फ फूल- मालायें चढ़ाकर
अपने कर्तव्यों की इतिश्री
और मरने के बाद हमें
हमेशा के लिये मार देना ।
' जयहिंद '
बहुत सुंदर..... हृदयस्पर्शी रचना .....
ReplyDeleteआखिरी पंक्तियाँ आँखें नम कर गयीं.....
उफ़, उपेन्द्र जी, झंझ्कोर के रख दिया आपने....
ReplyDeleteशहीद के मरने के बाद उनकी शहादत वास्तव में याद रखनी चाहिए...... यही सच्ची श्रधांजलि है...........
प्रणाम शहीदां नू.....
bahut badhiya rachana .. sansad hamale men shaheedo ko naman
ReplyDeletebahut hi sundar....
ReplyDeleteशहीदों को नमन...काश हम उनके बलिदान को समझ पाते...
पोस्ट अच्छी लगी
ReplyDelete"शहीदों के मरने बाद उनकी शहादत को जिन्दा रखना सीखो ऐ देशवासियों" अजी यहाँ तो जीते जी मारने को तत्पर बैठे हैं मरने के बाद किसने देखा है. भ्रष्टाचार अपने चरम पर है, जो ऊपर जाता है उसे नीचे तो आना ही है पर कब .......शहीदों को नमन
नमन है उन शहीदों को जो अपनी जान पर खेलते हैं ... मार्मिक रचना है आपकी .. पर कितनी सच्ची ...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना .शहीदों को सच्ची श्रीन्धांजलि दी है आपने.
ReplyDeleteपाठकों के मन को झिंझोड देने वाली मर्मस्पर्शी रचना । बेमिसाल...
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी ...चेतना जागृत करती हुई ....सच्ची श्रद्धांजली ...
ReplyDeleteमन को छूने वाली रचना ...
आपका ब्लॉग बहुत पसंद आया है ! बहुत सच्ची बातें कहीं हैं
ReplyDeleteउपेन्द्र जी आपको सलाम दिल से
आपका हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मर्म स्थल को स्पर्श करने वाली कविता...
ReplyDeleteभारत माता के वीर शहीदों को नमन...।
हमें फिर भी शर्म नहीं आती...
ReplyDeletebahut kuch kahti rachna
ReplyDeletemarmsaprshi rachna...desh ke khatir mar mitne wale sahidon ko naman...
ReplyDeleteआदरणीय उपेन्द्र जी
ReplyDeleteनमस्कार !
नमन है उन शहीदों को जो अपनी जान पर खेलते हैं
बहुत सुन्दरता से आप्ने अपने उद्गार निकाल कर हमारे आत्मकेंद्रित सोच को झकझोरा है!
ReplyDeleteयाद रखो क़ुरबानी .....शहीदों को नमन
ReplyDelete@संगीता जी
ReplyDeleteइस कविता को यह सम्मान देने के लिए आभार. मै यहाँ ये बताना चाहूँगा की आज संसद के बरसी की खबर सुबह -सुबह मुझे शिवम् जी के ब्लॉग पर मिली. मगर समय न होने के वजह से ये पूरी कविता ऑफिस के टी- ब्रेक में १५ मिनट में लिखकर वहीं मोबाइल पर टाइप करके पोस्ट की गयी है . बाद में घर आने पर इसमें दो चित्र और जोड़े गयें......... ऐसे में आप द्वारा इस कविता को ये सम्मान, इस कविता और मेरी एक छोटी सी कोशिस के लिए किसी आवार्ड से कम नहीं. बहुत बहुत धन्यवाद.
सोचने को मजबुर करती है कि आखिर कबतक हम अपने जमीर को मारकर जिंदा रहेगें। सुन्दर रचना।
ReplyDeleteउपेन्द्र जी!
ReplyDeleteपहली बार किसी ने एक सिपाही को मात्र सिपाही नहीं, एक बेटा और पति बताया है... मन भर आया! और यही सच्ची श्रद्धांजलि है उनके लिए!!
अपनी जान पर खेल कर देश की हिफ़ाज़त करने वाले शहीदों को नमन और विनम्र श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteजो मरे कोई "नेता" तो रोते है हजारो,
ReplyDeleteझुकते है "झंडे" और "सिर" भी |
न होती कोई आँख नम,
न पड़ता फर्क किसी को,
जवान बेटे , भाई होते शहीद ,
जब जब गिरते 'मिग' मेरे देश में ..... |
रोता है दिल ,रोता हूँ मैं भी ....
क्यों है "शहादत" के यह हाल मेरे देश में ...??
घर घर शहीद की बेवा,
क्यों मांजती है थाल मेरे देश में .....??
नहीं है कोई बैर नेताओ से मुझ को,
न मैं कहेता कि "जाए" कोई भी 'एसे',
रहेगा "गणतंत्र" तो रहेगे नेता भी,
है दुनिया का सब से बड़ा प्रजातंत्र मेरे देश में ...|
बस चाहता हूँ इतना .....,
कि मिले शहीदों को मान मेरे देश में ....||
फ़िर कहेता हूँ यारो याद रखना ......
बस इतना याद रहे ....एक साथी और भी था ||
संसद हमले के अमर शहीदों को पूरे हिंदी ब्लॉग जगत और सभी मैनपुरी वासीयों की ओर से शत शत नमन !
उपेन्द्र जी,
ReplyDeleteनमन ऐसे शहीदों को और सलाम आपकी कलम को।
हृदयस्पर्शी रचना !
ReplyDeleteबिल्कुल यही भावनाएं होती होंगी उस पुण्यात्मा की जो भारत मां पर अपना सर्वस्व बलिदान कर चिर निद्रा में सो गया
लेकिन हमें क्या फ़र्क़ पड़ता है,फ़र्क़ तो उसे पड़ता है जिस ने अपना जवान बेटा खोया हो ,फ़र्क़ सैनिक की उस विधवा को पड़ता है जो असहाय सी अपने बच्चों के लालन पालन की चिंता में हो ,मुझे अपना एक शेर याद आता है
वो बेव ए शहीद है महरूम, हक़ से भी
उस की मदद को कोई एदारा न आएगा (एदारा =ऑर्गनाइज़ेशन)
बेहद मर्मस्पर्शी झकझोर देने वाली रचना …………अन्तिम पंक्तियाँ सोचने को विवश करती हैं।
ReplyDeletemarmsparshi rachna k liye aapko bahut bahut badhai..........man ko chu gayi aapki ye rachna
ReplyDeleteशहीदों के नाम बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteनमन ।
शिवम् जी आपका हार्दिक आभार , आपकी कविता काफी बेहतरीन है. बहुत सही कहा आपने . सच्चा नमन तो तब होगा जब शहीदों को उनका सम्मान मिले ....
ReplyDeleteशहीदों को अश्रपूर्ण श्रद्धांजलि के साथ आपको बहुत बहुत धन्यवाद एवम शुभकामनाएं इतनी सुंदर एवं मार्मिक रचना हेतु।
ReplyDeletebohot bohot khoob.....bade hi khoobsurat andaaz se aapne ek shaheed, ek bete, pati aur pita ki vyatha ko shabd diye hain...great job...!!!
ReplyDeletehridaysparshi rachna!
ReplyDeleteअंदर तक झकझोर देनेवाली बहुत ह्रदयस्पर्शी रचना..
ReplyDeletewah.gazab ka likhe hain.
ReplyDeleteअच्छी कविता। इस देश के हालात पर अब क्या कहें?
ReplyDeleteजज्बातों को सुन्दर शब्दों में ढाला....नमन.
ReplyDelete'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं.
शहीदों के बलिदान को नमन के रूप में
ReplyDeleteपावन भावनाओं से लिखी गयी
श्रद्धांजली ........
एक बहुत अच्छी ,
मार्मिक कविता .
ओह ...अतिमर्मिक !!!!
ReplyDeleteकाश कि तंत्र और जन जन के ह्रदय तक यह संवेदना पहुँच पाती...
सार्थक रचना...
आभार आपका..
बहुत भावपूर्ण रचना |बधाई | आपका मेरे ब्लॉग पर आने और प्रोत्साहित करने के लिए आभार
ReplyDeleteआशा
उपेन्द्र जी,
ReplyDeleteमर्म स्थल को स्पर्श करने वाली कविता...
भारत माता के वीर शहीदों को नमन....और आपकी कलम को सलाम..
man ko jhakjhorati hi ek bhavpurn avambehatreen prastuti. sachhe saputo ke man kibaat bahut hi khoobsurati ke saath vykt kiya hia aapne. kash aisa sabhi sochate.
ReplyDeletepoonam
marmsparshi kavita.
ReplyDeleteveer shaheedon ko naman.
उपेन्द्र जी, दिल भर आया। इस सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
ReplyDelete---------
प्रेत साधने वाले।
रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्या?
बहुत भावपूर्ण रचना |बधाई |
ReplyDeletebahut bhawanaapoorn rachanaa .. kaash ye hmare netaa samaza paate . aur kabhee hamare saheedon ko sachchhe sraddhanjali hee de paate
ReplyDeleteबहुत सुंदर, हृदयस्पर्शी रचना ... भारत माता के वीर शहीदों को नमन !
ReplyDeletemarmsparshi rachna....
ReplyDeleteहमारी स्मृतियों का इस क़दर धुंधलाते जाना न जाने हमें कहां ला के पटकेगा!
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