अब तक कितने
Wednesday, September 14, 2016
Friday, September 9, 2016
पीड़ा
तुम कहो
या न कहो
रोटी
बता देती है
तुम्हारी पीड़ा
जिस दिन
ज्यादा जली
ज्यादा पीड़ा
कम जली
कम पीड़ा
नहीं जली
यानी ठीक हो
मगर इतनी भी ख़ामोशी
अब ठीक नहीं
बहुत दिन हो गए
खाये बिन जली रोटी।
Wednesday, September 7, 2016
दिल
सोंचता हूँ कभी
जो दिल के होते
दो हाथ अगर
पहले पकड़ता
वह मेरा ही गला
या जड़ देता
दो घूँसे
सम्हाल कर
रख न सका मैं
उसे एक पल भी
ख्वाब और खौफ के बीच
निष्चय और अनिष्चय के बीच
बस रह गया वह हमेशा
एक खौफजदा परिंदे सा।
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