सृजन _शिखर : मेरे ख्यालों का खुला आसमां
नींद
आने से पहले
आज फिर
गुजरी थी
शोर मचाते हुये
तेरी खामोशियाँ
अब किस किस से छिपाऊँ
कि सुबह होने को आयी
नींद का इन्तेजार करते करते।
Bahut badiya
Bahut badiya
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