चित्र गूगल साभार |
अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ और जन लोकपाल बिल के लिए किये जा रहे आन्दोलन के सन्दर्भ में.................
अब क्या होगा - १
हिल गयी हैं
सत्ता की जड़े
खलबली मची है
भ्रष्टाचारियों से
भरी हुई सत्ता में
अब क्या होगा
सोये हुओं के
जाग जाने के बाद ?
अब क्या होगा -२
बड़ी मछलियाँ
व्यस्त थी
छोटी मछलियों को
खाने में
उनके हक छिनने में.
उन्हें लूटने में
एक कंकड़ उछाला है किसी ने
शांत जल में
बड़ी बेचैनी है
खलबलाहट है
बड़ी मछलियों को
डर सताने लगा है
कि कहीं ये भँवर का रूप न लेले
वो परेशान हैं कि
अब क्या होगा
सोये हुओं के
जाग जाने के बाद ?अब क्या होगा -३
जंतर -मंतर पर
जब जारी था तुम्हारा अनशन
तुम भूख से तड़पे तो होगे जरूर
मगर इस तड़प से ज्यादा
वह तड़प रही होगी
जो तड़प रहे थेइस वजह से
रातों की नींद उड़ जाने के बाद
क्योकि उन्हें डर सता रहा था कि
अब क्या होगा
सोये हुओं के
जाग जाने के बाद ?अब क्या होगा -४
सत्ता हैशतरंज की बिसात
जारी है और जारी रहेगा
शह और मात का खेल
आरोप और प्रत्यारोप का दौर
कड़ियों को जोड़ने और तोड़ने का खेल
राह लगती नहीं आसन
मगर अन्ना हजारे
असली आजादी का
जो अलख जलाया है तुमने
अब जागने लगा है
सोया हिंदुस्तान
कुछ लोंगों के माथे पर बल पड़ने लगे हैं कि
अब क्या होगा
सोये हुओं के
जाग जाने के बाद ?
उम्मीद है कुछ अच्छा ही हो.जाग कर फिर न सो जाएँ.
ReplyDeleteजारी रहेगा आरोप प्रत्यारोप का खेल अब देखना है जीतता कौन है भ्रष्टाचार या सदाचार ? सार्थक पोस्ट बधाई
ReplyDeleteउम्मीद पर दुनिया कायम है
ReplyDeleteकितना शर्मनाक है की संयुक्त ड्राफ्टिंग कमेटी में सरकार की तरफ से नियुक्त एक भी प्रतिनिधि ने अपनी आज तक की संपत्ति का विवरण तक नहीं रखा है देश की जनता के सामने लेकिन पूरी सरकारी साधन व संसाधन का प्रयोग जनता के पहले किसी जनतांत्रिक प्रयास को कर रहे प्रतिनिधियों के हर चीज की बाल की खाल निकालकर कर इस पूरे मुहीम के सार्थक प्रयासों पर ही पानी फेरने का षड्यंत्र किया जा रहा है...निश्चय ही यह इस बात का संकेत है की सरकार में सभी लोग शर्मनाक स्तर के भ्रष्टाचारी हैं...अब तो शर्म आ रहा है अपने आपको इस देश का नागरिक कहने व अपने आपको इंसान मानने में... जब इतने कमीने लोग हमारे देश के उच्च संवेधानिक पदों पे बैठें हैं तो हम अपने आप को इंसान कैसे कह सकते है...
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति ...काश कुछ सकारात्मक ही हो....
ReplyDeleteअभी तो आभासी क्रांति के स्पर्श सुख में समय बीत रहा है, सवाल-जवाग में न उलझाइए.
ReplyDeleteउपेन बाबू! अभी तो बस एक खेल चल रहा है.. पुराने सिक्के नए सिक्कों का चलन रोक देते हैं!!
ReplyDeleteसब ठण्डे बस्ते में जायेगा या फिर राजनीतिबाज कोई तिकड़म निकाल लेंगे..
ReplyDeleteजड़े हिली हैं, बड़ी मजबूत हैं पर।
ReplyDeleteआरोप प्रत्यारोप का खेल तो चोर ही लगा रहे हे, क्योकि वो नही चाहते कि यह सम्मेलन कामयाब हो , अगर यह आन्दोलन कामयाव होता हे तो यह सारे चोर जल्द ही जेल मे होंगे, अब जनता को चाहिये कि इन चोरो को जो आन्दोलन कारियो पर आरोप लगा रहे हे, पहले इन से इन के कर्मो का हिसाब मांगे जो कुते की तरह से भोंकने लगे हे, अन्ना जरुर कामयाब होंगे, जय हिन्द
ReplyDeleteजो होगा...अच्छा ही होगा...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया !
ReplyDeleteचारो कविताएं लाजवाब हैं...
ReplyDeleteदेखेंगे हम लोग....
ReplyDeleteसमय अवश्य बदलेगा ...शुभकामनायें आपको !
ReplyDeletebahut sundar rachnayein. Anna ji ki mehnat vyarth nahin jaayegi. badlaav zaroor aayega.
ReplyDeletesabhi ka ek hi jawab hai-''UTHAL_PUTHAL""
ReplyDeletekyon sahi kaha na upen ji?bahut sundar sarthak prastuti.
हमेशा की तरह अच्छे की उम्मीद करिये.
ReplyDeleteजी देखना तो यही है ....
ReplyDeleteअब क्या होता है .....):
राम-राम जी,
ReplyDeleteइक पत्थर तबीयत से उछाला है यारों।
....बहुत खूब।
ReplyDeleteआपकी कविताएं एक वैचारिक क्रांति का अच्छा विश्लेषण कर रही हैं।
ReplyDeleteकामना करें कि भविष्य सर्व जन हिताय ही होगा।
ये तो बहुत लंबी लड़ाई है आसानी से कोई हाथ नहीं आने वाला वैसे भगवान प्र भरोसा किये सभी बैठे हैं
ReplyDeleteआभार
sabhi rachnaye uttam hai
ReplyDeleteउपेन्द्र जी ... कविताएँ बहुत अच्छी और आज की यथार्त स्तिथि और अन्ना जी के भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन को ले कर खूब बनी है... प्रार्थना है कि सोटे हुवे लोग जाग जाएँ ... और भ्रष्टाचार का कीड़ा लोगों के खून से उतर जाए... सादर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता लिखी आपने ...बधाई.
ReplyDelete________________________
'पाखी की दुनिया' में 'पाखी बनी क्लास-मानीटर' !!
अगर आप पूर्वांचल से जुड़े है तो आयें, पूर्वांचल ब्लोगर्स असोसिएसन:पर ..आप का सहयोग संबल होगा पूर्वांचल के विकास में..
ReplyDeleteबस और सो ना जाए ....
ReplyDeleteबदलाव की शुरुआत तो हुई..
ReplyDeleteअच्छी रचनाएँ लिखी हैं .
प्रभावित करती हैं ..लाज़वाब प्रस्तुति..
ReplyDeleteJo jagta huaa bhee so raha hai use koun jaga sakta hai.... ?
ReplyDeletesaamyik sarthak lekhan .
Aabhar
बहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteबधाई...
Samay ne karwat to lee hai ab jag kar kuch kare tab.
ReplyDeleteना पहले कुछ बदला था और ना अब बदलेगा
ReplyDeleteअब भी सबकी आँखों में धुल झोंकी जा रही है
प्रिय उपेन्द्र उपेंन जी
ReplyDeleteसुन्दर रचना सुन्दर ब्लॉग भ्रष्टाचार के विषय में आप आप के लेख ये छवियाँ बहुत ही सार्थक
जब एक कंकड उछाला है किसी ने तो लहर तो अब उठेगी ही
आइये अन्ना के हाथों को मजबूत करें
अपने सुझाव व् समर्थन के साथ आइये भ्रमर के दर्द और दर्पण में भी
शुक्ल भ्रमर ५
आप को मेरी हिदायत है की स्वामी अग्निवेश से जरा संभल के रहें!
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने....
ReplyDeleteबदलाव तो आएगा पर कुछ क भरोसे नहीं हम सभी का योगदान आवश्यक है!!
आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा| आपकी भावाभिव्यक्ति बहुत सुन्दर है और सोच गहरी है! लेखन अपने आप में संवेदनशीलता का परिचायक है! शुभकामना और साधुवाद!
ReplyDelete"कुछ लोग असाध्य समझी जाने वाली बीमारी से भी बच जाते हैं और इसके बाद वे लम्बा और सुखी जीवन जीते हैं, जबकि अन्य अनेक लोग साधारण सी समझी जाने वाली बीमारियों से भी नहीं लड़ पाते और असमय प्राण त्यागकर अपने परिवार को मझधार में छोड़ जाते हैं! आखिर ऐसा क्यों?"
"एक ही परिवार में, एक जैसा खाना खाने वाले, एक ही छत के नीचे निवास करने वाले और एक समान सुविधाओं और असुविधाओं में जीवन जीने वाले कुछ सदस्य अत्यन्त दुखी, अस्वस्थ, अप्रसन्न और तानवग्रस्त रहते हैं, उसी परिवार के दूसरे कुछ सदस्य उसी माहौल में पूरी तरह से प्रसन्न, स्वस्थ और खुश रहते हैं, जबकि कुछ या एक-दो सदस्य सामान्य या औसत जीवन जी रहे हैं| जो न कभी दुखी दिखते हैं, न कभी सुखी दिखते हैं! आखिर ऐसा क्यों?"
यदि इस प्रकार के सवालों के उत्तर जानने में आपको रूचि है तो कृपया "वैज्ञानिक प्रार्थना" ब्लॉग पर आपका स्वागत है?
बह्त सुंदर अभिव्यक्ति..!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई है।