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Sunday, May 31, 2015

जिंदगी

जिन्दगी  अक्सर एक अधूरे ख्वाब सी लगी
कहीं ये धूप तो कहीं ये छाँव  सी लगी

जब भी समझना चाहता लगी अन्जानी सी
कभी अपनी तो कभी तिलस्मी राज सी लगी

पल - पल बदलते रहे हैं रिस्ते यहाँ पर
कभी दुपहरी तो कभी मुरझाई शाम सी लगी

हर लम्हा कुछ ऐसे गुजरता रहा है कि
कभी स्वाद तो कभी बेस्वाद सी लगी

जख्म सहलाने वाले तो बहुत मिले यहाँ
जख्म सूखे मगर हमेशा ताजी घाव सी लगी

मुश्किल वक्त में भी अपने ना साथ मिले
" उपेन" ये कभी उजड़ी तो कभी आबाद सी लगी।।

Tuesday, January 20, 2015

उम्मीद

दिन के
सारे दर्द
वो पी गया
इस उम्मीद में कि
रात का चाँद
हाेगा शायद
बहुत खूबसूरत
और रात के दर्द
इस उम्मीद में कि
अगले दिन होगी
ईक नई सुबह
ये उम्मीद है तो
ये जिन्दगी है
और जिन्दगी से
खूबसूरत
शायद कुछ भी नहीं ....

Thursday, January 1, 2015

नया साल

कैसा होगा 
नया  साल 
नफ़रत भरा
या प्यार 
रंग भरा 
या  बदरंग 
उम्मीदें  होगी पूरी 
या फिर टूटेंगी 
सच में कुछ बदलेगा 
या हर बार  की तरह 
बदल जाएगी 
इस बार भी 
दीवाल पर टंगी 
पंचांग की तस्वीर 
जो भी हो 
बस पिछले साल 
जो टूटे थे सबके 
उम्मीदों के पंख 
वो निकल आये फिर से
और इस बार न टूटे …  



आप सबको नए साल की हार्दिक शुभकामनायें