दिन के
सारे दर्द
वो पी गया
इस उम्मीद में कि
रात का चाँद
हाेगा शायद
बहुत खूबसूरत
और रात के दर्द
इस उम्मीद में कि
अगले दिन होगी
ईक नई सुबह
ये उम्मीद है तो
ये जिन्दगी है
और जिन्दगी से
खूबसूरत
शायद कुछ भी नहीं ....
सारे दर्द
वो पी गया
इस उम्मीद में कि
रात का चाँद
हाेगा शायद
बहुत खूबसूरत
और रात के दर्द
इस उम्मीद में कि
अगले दिन होगी
ईक नई सुबह
ये उम्मीद है तो
ये जिन्दगी है
और जिन्दगी से
खूबसूरत
शायद कुछ भी नहीं ....
सच में कुछ भी नहीं ... जिन्दफ्गी है तो रंग हैं .. नज़ारे हैं खूबसूरती है ...
ReplyDeleteजीवन इसी दुष्चक्र का नाम है उपेन भाई!! बहुत ख़ूब कहा है आपने!
ReplyDeleteसच कहती पंक्तियाँ .
ReplyDeleteसही है
ReplyDeleteNice blog !! http://packers-and-movers-bangalore.in/
ReplyDeletebest
ReplyDeletebest
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