याद
हम तो थे परिंदा
हमारी हर उड़ान के साथ
अपने लोग भी हमें
अपने दिलों से
उड़ाते गये
आलम अब ये है की
हम याद भी करें तो
उनको याद नहीं आते है।।
जख्म
हमें आदत थी
उनके हर चीज को
सम्हालकर रखने की
उनके दिए हर दर्द को भी
हम दिल में
सम्हालकर रखते गए
और जख्म खाते रहें।।
हम तो थे परिंदा
हमारी हर उड़ान के साथ
अपने लोग भी हमें
अपने दिलों से
उड़ाते गये
आलम अब ये है की
हम याद भी करें तो
उनको याद नहीं आते है।।
जख्म
हमें आदत थी
उनके हर चीज को
सम्हालकर रखने की
उनके दिए हर दर्द को भी
हम दिल में
सम्हालकर रखते गए
और जख्म खाते रहें।।
इल्जाम
उनके हर इल्जाम
हम अपने सर लेते गये
इस उम्मीद में की
यह होगा
आखिरी इल्जाम ।।
रेत
जबसे रेत पर मैंने
तुम्हारा नाम लिखा है
तुमने छोड़ दिया है
लहर बनकर
किनारे तक आना ।।
बगिया के फूल
मेरी बगिया में गिरे
कोमल फूल
आज बड़े उदास है
कि वो आये
और बिन मुस्कराए
लौट गए
कहीं उनके
कोमल पैरों में
छाले तो नहीं
पड़ गये होंगे ।।