( चित्र गूगल साभार )
अबोध शिशु की आँखों मे स्वप्निल संसार जन्म लेने लगा था. मुख मे दन्त क्या निकले की मानो पर निकल आये हों. वह उड़ना चाहता था, दुनिया देखना था. बच्चा अंजान था , उसकी इस कोशिश ने पहली बार शरारत की. उसने चपलता के साथ अपने दन्त माँ के स्तन मे गड़ा दिए.
माँ को पहले ही आशंका थी की स्तनपान से स्तन का आकर ख़राब हो सकता है. अब यह आशंका प्रबल हो गयी. माँ ने बच्चे के स्तनपान की आदत को छुड़ाने के लिए स्तन पर हरी मिर्च का टुकड़ा रगड़ दिया.
बच्चे ने जैसे ही स्तनपान करना चाहा वैसे ही उसका मन छनछना गया. मुख पूरी तरह से कसैला हो उठा. अबोध शिशु का पहली बार इस दुनिया की कडुआहट से साक्षात्कार हुआ.
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अबोध शिशु की आँखों मे स्वप्निल संसार जन्म लेने लगा था. मुख मे दन्त क्या निकले की मानो पर निकल आये हों. वह उड़ना चाहता था, दुनिया देखना था. बच्चा अंजान था , उसकी इस कोशिश ने पहली बार शरारत की. उसने चपलता के साथ अपने दन्त माँ के स्तन मे गड़ा दिए.
माँ को पहले ही आशंका थी की स्तनपान से स्तन का आकर ख़राब हो सकता है. अब यह आशंका प्रबल हो गयी. माँ ने बच्चे के स्तनपान की आदत को छुड़ाने के लिए स्तन पर हरी मिर्च का टुकड़ा रगड़ दिया.
बच्चे ने जैसे ही स्तनपान करना चाहा वैसे ही उसका मन छनछना गया. मुख पूरी तरह से कसैला हो उठा. अबोध शिशु का पहली बार इस दुनिया की कडुआहट से साक्षात्कार हुआ.
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