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Tuesday, December 27, 2011

अपना माल

             वह अपने बचपन के दोस्त से काफी दिन बाद मिल रहा था . दोस्त लडकियाँ पटाने में माहिर था. उसने सोंचा क्यों न इस मुलाकात में अपने दोस्त से लडकियाँ पटाने का कुछ टिप्स लिया जाय. उसने अपने दोस्त से अपनी परेशानी बताई , " यार जिस कालेज में मैंने एडमिशन लिया है उसमें एक नई पटाखा  माल आयी  है. क्या लगती है यार , उसे पटाने का कुछ गुरुमंत्र हो तो बता ."

                उसका दोस्त चटकारे ले - लेकर उसे एक एक टिप्स उसे बताता रहा. आखिर में उसका दोस्त जब बिदा हो रहा था तो उसने कहा, " लेकिन यार अगर लड़की पट गयी तो अकेले ही मत चटकर जाना. "

              " अमां यार कैसी बात करते हो. तुम तो अपने यार हो और भला मुझे कौन सी उस लड़की से शादी करनी है. बस थोडा सा प्यार का झांसा देकर उसे पटना है और अपना काम निकलते ही फुर्र ..."

              उसके दोस्त ने कहा , " यार उसका नाम पता तो कुछ बता . अगर उसका कोई फोटो तेरे पास हो तो दिखा, उसके चर्चे तेरे मुंह से सुनकर रहा नहीं जा रहा. "

              उसने उसने जैसे ही अपने मोबाईल में लड़की की चुपके से खींची गयी लड़की की फोटो अपने दोस्त को दिखाई , उसका दोस्त लड़की का फोटो देखते ही आग बबूला हो गया और जोर से चीखा, " साले मै तेरा खून पी जाऊंगा . ये तो मेरी बहन का फोटो है. ख़बरदार जो इसकी तरफ देखा तो . "

             उसके चेहरे की सारी रंगत गायब  हो चुकी  थी और पलभर में सन्नाटा पसरने  लगा . दोनों दोस्त अपने अपने रास्ते चल दिए थे.


Sunday, December 25, 2011

रविवार : बस आनंद ही आनंद

रविवार पर दो कवितायें:  एक ये जो 17 साल पहले की बाल कविता .......


(६ नवम्बर १९९४  को इलाहाबाद के " प्रयागराज टाईम्स " में प्रकाशित बाल कविता )

                  और एक ये जो आज की  (रविवार का एक मीठा एहसास )........
 रविवार : बस आनंद ही आनंद

रविवार !
यानि सुबह के मोबाईल के 
अलार्म की टिन- टिन से छुट्टी
और देर तक सुबह की 
मीठी नींद का आनंद 
बस आनंद ही आनंद

न सड़क पर
ट्रैफिक की चिंता
न आफिस पहुँचने की जल्दबाजी
न बास की खिंच - खिंच 
न सहयोगियों की चिख -चिख 
और  न फाईलों की टेंशन
वाह रे सुकून भरा आनंद      
बस आनंद ही आनंद

न फोन सिर  पर 
घनघना पा रहा 
न काम का बोझ दबा पा रहा 
सप्ताह के इस दिन 
बस चलती है हमारी मर्जी 
अजी आज के राजा है हम 
कहाँ मिलेगा ऐसा आनंद
बस आनंद ही आनंद

नहाने के बाद
छत पर गुनगुनी धुप का 
मीठा एहसास
गरमा गरम आलू पराठा
दे रहा नाश्ते का आनंद
बस आनंद ही आनंद

बच्चों का  स्कूल का विंटर कैम्प
उनकी अम्मा की किट्टी   
वाह रे सुकून भरा दिन 
बस इस रजाई में दुबककर 
ये बीत रहा दिन 
एक असीम शांति का आनंद
बस आनंद ही आनंद



ब्लॉग परिवार के सभी सदस्यों को क्रिसमस की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें

Wednesday, December 14, 2011

साहब का कुत्ता

 हरिया का छोटा भाई काफी देर से जिद कर रहा था की  वह भी उसके साथ बाजार घूमने जायेगा उसकी मॉं ने भी कहा कि उसे भी ले जाकर उसे घूमा लाये मगर हरिया  है कि  नाम ही नहीं ले रहा था। उसने अपने छोटे भाई  की तरफ इशारा कर के कहा ‘‘ बड़ा घूमने चला हैं, नाक तो देख जरा कैसे बह रही है छि:  कितनी घिन रही है ,कोई  देखेगा तो क्या कहेगा । ऊपर से मुँह से कितनी बदबू आ रही है ’’
     हरिया अकेले ही बाजार जाने के लिए तैयार होने लगा वह जैसे ही बाहर निकला  कि  साहब जी बाहर कुत्ते को लेकर पार्क में टहलाते दिखाई दिये उसे देखते ही साहब जी ने कहा ‘‘ हरिया  इसे भी साथ लेकर बाजार जा और थोड़ी देर बाहर टहलाकर लाना।’’ 
     हरिया खुश था वह कुत्ते को लेकर बाहर निकल पडा़ कुछ दूर चलने के बाद उसने कुत्ते को पुचकारते हुए गोंद में में उठाया तथा फिर चूम लिया  उसकी चाल में निरंतर बादशाहत बढ़ती जा रही थी

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