© कापीराइट

© कापीराइट
© कापीराइट _ सर्वाधिकार सुरक्षित, परन्तु संदर्भ हेतु छोटे छोटे लिंक का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अतिरिक्त लेख या कोई अन्य रचना लेने से पहले कृपया जरुर संपर्क करें . E-mail- upen1100@yahoo.com
आपको ये ब्लाग कितना % पसंद है ?
80-100
60-80
40-60

मेरे बारे में

मेरे बारे में
परिचय के लिए कृपया फोटो पर क्लिक करें.

Tuesday, January 11, 2011

भोजपुरी लोकगायक बालेश्वर यादव नहीं रहे !

* निक लागे तिकुलिया गोरखपुर के
* मनुआ मरदुआ सीमा पे सोये , मौगा मरद ससुरारी मे.
* कजरा काहें न देहलू

                   अगर  आपो लोगन में से केहू ई गाना के ऊपर मस्ती से झुमल होखे या ई गाना कै शौक़ीन रहल होये तै अब ई आवाज अब कबहू न सुनाई देई. काहें से की ई मशहूर गाना  कै  गवैया बालेश्वर यादव जी अब ई दुनिया से जा चुकल बटे. 
chitra google sabhar

                     बीते रविवार  ०९  जनवरी २०११ को इन्होने लखनऊ  के श्यामा प्रसाद  मुखर्जी अस्पताल में आखिरी साँस ली , जहाँ  ये कुछ समय से इलाज के लिये भर्ती थे. सन १९४२ में आजमगढ़ - मऊ क्षेत्र के मधुबन  कस्बे के पास चरईपार गाँव में जन्मे, बालेश्वर यादव भोजपुरी  के मशहूर बिरहा और लोकगायक थे.
                 अई...रई... रई...रई... रे  , के विशेष टोन से गीतों को शुरू करने वाले बालेश्वर ने अपने बिरहा और लोकगीतों के माध्यम से यू. पी.- बिहार समेत पूरे  भोजपुरिया समाज के दिलों पर वर्षों तक राज किया. वे जन जन के ये सही अर्थों में गायक थे. इनके गीत " निक लागे तिकुलिया गोरखपुर के " ने एक समय पुरे पूर्वांचल में काफी धूम मचाई थी.जन जन  में अपनी गायकी का लोहा मनवाने वाले इस गायक पर मार्कंडेय जी  और कल्पनाथ राय जैसे दिग्गज राजनीतिज्ञों की नज़र पड़ी तो तो यह गायक गाँव- गाँव की गलियों से निकलकर  शहरों में धूम मचाने लगा और कल्पनाथ राय ने  अपने राजनितिक मंचों से  लोकगीत गवाकर इन्हें  खूब सोहरत दिलवाई. बालेश्वर यादव २००४  में देवरिया के पडरौना लोकसभा सीट से कांग्रेस  पार्टी के टिकट पर जीतकर लोकसभा में भी पहुंचे.
                इनके गाये गानों पर नयी पीढ़ी के गायक गाते हुए आज मुंबई में हीरो बन प्रसिद्धि पा  गये  , मगर ये लोकगायक इन सबसे दूर एक आम आदमी का जीवन जीता रहा. ये आम लोंगों के  गायक थे और उनके मन में बसे थे. अभी हाल में ही आजमगढ़ के रामाशीष बागी ने महुआ चैनल के सुर संग्राम में इनके गाये गीतों पर धूम मचा दी थी. 
                भोजपुरी के उत्थान और प्रचार  - प्रसार  में इनका महत्वपूर्ण  योगदान  है  . इनके गीत न केवल  अपने देश  में ही प्रसिद्ध  हुए बल्कि जहाँ भी भोजपुरिया माटी  के लो  जाकर  बस  गए , वहाँ   भी इन्हें गाने  के लिये बुलाया  जाता  रहा. इन्होने अपने भोजपुरी गीतों का डंका सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, मारीशस, फिजी, हौलैंड इत्यादि देशो में भी बजाया  . सन १९९५ में बालेश्वर यादव को उत्तर प्रदेश की सरकार ने  लोक-संगीत में अतुलनीय योगदान हेतु ' यश भारती सम्मान 'से सम्मानित किया था. 


chitra google sabhar 

19 comments:

  1. बालेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि.

    ReplyDelete
  2. भोजपुरी में बहुत कम गायक हैं। बालेश्वर जी का निधन एक बड़ी क्षति है। इश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।

    ReplyDelete
  3. बालेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

    ReplyDelete
  4. बलेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

    ReplyDelete
  5. उपेंद्र बाबू! बहुते दुःखदायक खबर देनीं हँ रऊआ.. एकदम बुझाता कि भोजपुरी संगीत जेकरा से माटी के महँक आवेला, ऊ हमेसा खातिर खामोस हो गईल..
    अरररर से सुरू करके "तीन बजे आके उठईहें पतरकी, सूतल रहब खरिहानी में" से लेकर "ध्यान लगा है जूता का" तक.
    परमात्मा बालेसर बाबू के आत्मा के सांति देस!!

    ReplyDelete
  6. हार्दिक श्रद्धान्जलि।

    ReplyDelete
  7. श्रद्धान्जलि...यादव जी को..

    ReplyDelete
  8. विनम्र श्रद्धांजली...

    ReplyDelete
  9. बलेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।

    ReplyDelete
  10. आपने बालेश्वर जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी है ।

    ReplyDelete
  11. बालेश्वर जी को नमन ..... हार्दिक श्रृद्धांजलि

    ReplyDelete
  12. बालेश्वर जी को श्रद्धासुमन!!

    ReplyDelete
  13. बालेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि.

    ReplyDelete
  14. बालेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि. ..ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे

    ReplyDelete
  15. लोकगायकों से संस्कृति की परम्परा जीवित रहती है।

    बालेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

    ReplyDelete
  16. बालेश्वर जी को विनम्र श्रद्धांजलि।

    ReplyDelete