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My son's Photo |
सुबह से शाम तक की
व्यस्त भाग दौड़
बदल डालती है चेहरे की रंगत
बोझिल मन थोड़ा सा भी
अगर पाता है फुरसत
तो घेर लेते है अनेकों ख्यालात
ऐसे में जब कभी भी
दिवार पर टंगी
बचपन के तस्वीर की तरफ
जाती है नज़र
तो बरबस ही मन खिंच जाता है
भोली भाली चिंतामुक्त
हँसती तस्वीर की तरफ
और न चाहते हुए भी
फूट पड़ती है हंसी
जिंदगी घूम फिर कर
एक ही बिंदु पर केन्द्रित
होती रहती है
कितना प्यारा था बचपना
आने लगते है याद
बचपन के पुराने दिन
और अन्दर ही अन्दर
यह जख्म उठता है
कि क्यों नहीं हम
बचपना वापस पा लेते ..
काश कि वापस आ सके.
ReplyDeleteबचपना कितना निरेमल है, रह रह कर उसी की तो याद ही आती है।
ReplyDeleteबचपन एकदम निश्छल होता है,दिखावा और दांव-पेच से परे होता है.इसीलिए प्यारा और बहुत प्यारा होता है. बड़े होने पर भी ये खूबियाँ जिनमें बरकरार रहती हैं वो लोग आज भी प्यारे और बहुत प्यारे लगते है. मगर अफ़सोस की ऐसे लोग न के बराबर हैं.
ReplyDeleteउपेंद्र बाबू!
ReplyDeleteइसी से लोग बचपन और जवानी को बेवफा कहते हैं, जो छोड़ के जाएँ तो लौट कर नहीं आते... बुढ़ापा आखिरी साँस तक साथ निभाता है!!
... bahut khoob !!
ReplyDeleteवृद्धावस्था में आदमी शरीर और उम्र के अलावा,कई अर्थों में बच्चे जैसा ही होता है। शायद प्रकृति को भी अहसास रहा हो कि जीवनचक्र इस बालपन के बगैर पूरा नहीं होता!
ReplyDeleteबहुत सुंदर जी,चित्र भी बहुत प्यारा लगा, धन्यवाद
ReplyDeleteवाह ! आपका बेटा तो वाक़ई बहुत सुंदर है :)
ReplyDelete@ काश हम बड़े भी यह मुस्कान, इनसे सीख लें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है आपका बेटा। उसे आशीर्वाद।
ReplyDeleteबचपन के दिन भी क्या दिन थे...
ReplyDeleteबेटे को शुभाशीष.
bahut achcha likhe hain.
ReplyDeleteसच कहा ... बचपन हमेशा याद आता है .. सकूं देता है .....
ReplyDeleteआपको और आपके पूरे परिवार को नव वर्ष मंगलमय हो ..
To cherish those missing days, visit my Blog
ReplyDeletehttp://madhavrai.blogspot.com/
बचपन के दिन ऐसे ही होते हैं...निश्चिन्त,निफिक्र..मासूम से ....सबके मन में यह भाव कभी ना कभी आते ही हैं..काश वे दिन लौट आते.
ReplyDeleteसुन्दर रचना
bachpan ki muskan mubarak ho.
ReplyDeleteउपेन भाई, कविता और फोटो दोनो मस्त हैं। नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDelete---------
मिल गया खुशियों का ठिकाना।
निश्छल,निर्मल भावों से औत प्रोत रचना.बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteबचपन के दिन भी क्या दिन ...
ReplyDelete.... बचपन हमेशा याद आता है
ReplyDeleteसही कहा आपने। एक गजल की लाईन अचानक याद आ गई।
ReplyDeleteये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज की कश्ती वो बारीश का पानी।
upendra ji
ReplyDeletebilkul sahi likha hai aapne ,ab to apne bachcho me hi apna beeta bachpan yaad aa jaata hai.
ek geet ki ek lini jo mujhe bahut hi achhi lagti hai---
tere roop me maine payaa
bachpan apna dobaara--------
bahut hi achhi post
poonam
कविता और फोटो दोनो मस्त हैं। धन्यवाद|
ReplyDeleteबचपन जीवन का श्रेष्ठ समय होता है, न कोई चिंता न कोई तनाव।
ReplyDeleteकहते हैं कि बुढ़ापे में व्यक्ति की मानसिकता एक बार फिर बच्चों जैसी हो जाती है।
अच्छी कविता।
आपके बेटे की तस्वीर मोहक लग रही है।
प्यारे से बेटे को शुभाशीष एवं आप सभी को नव वर्ष की मंगलकामनायें ।
ReplyDeleteबचपन से सुन्दर समय दूसरा नहीं।
vaah kya bat hai
ReplyDeletekabhi yha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
सच है बचपन के दिन जब तब याद आते हैं
ReplyDeleteआपका बेटा बहुत स्वीट है..
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति..काश वो दिन वापस आ पाते..
बचपन को लेकर सुन्दर रचना और चित्र!
ReplyDelete--
आपका ब्लॉग तो बहुत अच्छा-भला खुल रहा है!
बड़े होते जाते हम मुड मुड़ कर बचपन के पास पहुँच जाते हैं ...
ReplyDeleteनिर्मल मन की अच्छी कविता
बेटा बहुत क्यूट है ...!
Bahut sundar baat kahi hai aapne ... kash ham phir se bachpan ko lout paate ... kash sabkuch pahle jaisa ho pata ... par kya karein samay kabhi peeche kee or nahi bahta ...
ReplyDeleteलेओ जी, एको गीत भी याद आ गया...........
ReplyDelete"बचपन के दिन भुला न देना......."
सुंदर कविता.
खूब उपेन जी।
ReplyDeleteहम सब कहीं न कहीं अपने बचपन को मिस करते हैं, लेकिन कमबख़्त वापस ही नहीं आता।
bahut achhi kriti hai bachpan ki
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