आभा खेत्रपाल |
जिस उम्र में बच्चे सपनों की दुनिया पर फैलाना सीखते है वह उम्र इनके लिये एक अभिशाप की तरह आई थी। अन्य बच्चों की तरह अब वह न तो खेल- कूद सकती थी और न ही स्कूल जा सकती थी।
मगर कुछ कर गुजरने की ललक उन्हें हार मानकर एक अभिशप्त जीवन जीने को मजबूर नहीं कर सकी । शिक्षक माता पिता से उन्हें भरपूर सहयोग मिला और उन्होंने घर पर ही अपनी शिक्षा शुरू की । उनकी पढ़ाई के प्रति मेहनत और लगन का ही नतीजा था कि उनको ९ वीं कक्षा में आखिरकार राजौरी गार्डेन के कैम्ब्रिज फाउन्डेशन स्कूल में दाखिला मिल गया, जहाँ से उन्होंने १२ वीं तक की शिक्षा ग्रहण की।
(वेब साईट पर जाने के लिये कृपया इस फोटो पर क्लीक करें ) |
इसके बाद आभा जी यहीं नहीं रुकी और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर, अन्नामलाई विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर , मुम्बई से ' साईको थिरेपी और काऊंसिलिंग ' में एम. एस. सी. और फिर कम्प्युटर सॉफ्टवेर अप्लिकेशन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया।
कठिन परिस्थितियों में स्वाध्याय, मेहनत और लगन से प्राप्त की गयी इस शिक्षा को उन्होंने सिर्फ अपने तक ही सीमित नहीं रखा है । आज वह दिल्ली के सुभाष नगर में क्रास द हर्डल नामक एक संगठन के माध्यम से निशक्त और विकलांग लोंगों के लिये एक उम्मीद की किरण बनीं हुई है । इस क्रास द हर्डल संगठन की एक वेब साईट भी है जिसके माध्यम से आभा जी ऐसे बच्चों की मुफ्त आन लाइन कैरियर काऊंसिलिंग भी करती है । इसके अलावा वह ऐसे विद्यार्थियों को घर पर ही ट्यूशन भी पढ़ाती है. इस वेब साईट पर हर तरह की डिसेबिलिटी के बारे में विस्तृत जानकारी तथा उससे सरवाईव करने के लिये हर तरह की प्रेरणा , साधन और निर्देशन मौजूद है । इस बारे में और अधिक जानकारी वेब साईट क्रास द हर्डल पर उपलब्ध है । आज वह अपने इस परोपकारी कार्य के सहारे कितने ही बेसहारा और निशक्त लोंगों को आत्म निर्भर बनाकर एक सामान्य जीवन जीने की प्रेरणा दे रही है। क्रास द हर्डल के बारे में फेसबुक पर भी जानकारी उपलब्ध है जहा इसमें करीब ५०० लोग पहले से ही जुड़े हुए है।
( आभा जी अपने माता पिता के साथ ) |
आभा जी इन सबसे अलग एक नामी कवित्री भी है । इन्होंने आर्कुट पर सृजन का सहयोग नाम से एक कम्युनिटी बनाई है , जिससे कई नामी साहित्यकार भी जुड़े है । आज इस कम्युनिटी के सदस्यों की संख्या ५५० के करीब है. इस पर समय - समय पर कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती है और नये लेखकों का उत्साहवर्धन भी किया जाता है । नीचे उनकी ही लिखी एक कविता प्रस्तुत है...............
चलते - चलते
चलते - चलते
मिली सुगंध
समेटना चाहा मैंने
बोली......
" रानी हूँ श्रृंगार की
वीभत्स में समाऊँ कैसे ?"
चलते- चलते
मिली ठंडक
शीतल होना चाहा मैंने
बोली.........
"सुखों के हिम पर वास करती हूँ
तपती- जलती रेत पर छाऊँ कैसे ?"
चलते -चलते
मिली मिठास
चखना चाहा मैंने
बोली............
"जिंदगी बदमिजाज है तुम्हारी
कड़वाहट अपनाऊ कैसे ?"
आगे थी रौशनी
पास में थी शांति
कुछ न कह पाई उससे
बस , नजरें झुकाए
फिर से
ठुकराए जाने का डर लिये
लौट आयी घर को मै ....(आभा खेत्रपाल)
कुछ महत्वपूर्ण लिंक :
Interview of Abha Khetarpal by Jagran Group
Interview of Abha Khetarpal by Salaam Namaste 90.4 FM
Interview with CNEB News Channel
Massage on Polio day
On hindustan Times
On The New Observer Post
इस हौसले को नमन..
ReplyDeleteइस जीवटता के नाम जिन्दगी।
ReplyDeleteमन के जीते जीत.
ReplyDeleteऐसी प्रतिभाओं के कारण ही आज handicapped शब्द का स्थान DIFFERENTLY ABLED शब्द ने ले लिया है।
ReplyDeleteआभा जी से नाता बहुत पुराना है. और उनकी जीवटता का कोई सानी नहीं.वह एक जीती जागती सुपर वोमेन हैं.जो काम करती हैं पूरी लगन और श्रद्धा से करती हैं.आभाजी पूरे मानव समाज के लिए एक प्रेरणा हैं.
ReplyDeleteआभाजी का हौसला सच ही नमन के लायक है ...वो वाकई प्रेरणास्रोत हैं ....उनकी कविता बहुत अच्छी लगी ....
ReplyDeleteश्रद्धा से सिर झुकाता हूँ ऐसी नारी के समक्ष!!
ReplyDeleteअभिनन्दन है इस शक्तिरूपा जीवट की आभा का!!
ReplyDeleteनई उम्मीदो का क्षेत्रपाल बन कर खडी है।
ऐसी नारी के हौसले को सलाम.....
ReplyDeleteशानदार हौसले वाली आभा खेत्रपाल जी को हार्दिक धन्यवाद और शुभकामनायें....ऐसे लोग आज देश और समाज में एक इंसान को जिन्दगी जीने के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं......क्योकि आज जीवन जीना वो भी ईमानदारी और इंसानियत के साथ किसी के लिए भी आसन नहीं है सरकार के उच्च संवेधानिक पदों पर ज्यादातर भ्रष्ट और कुकर्मी लोगों के बैठे होने की वजह से.....
ReplyDeleteआभा जी , बहुत से लोगों का प्रेरणास्रोत हैं। ऐसी प्रेरणादायी हस्ती को मेरा नमन ।
ReplyDeleteआभा जी का व्यक्तिक्व और जीवन लोगों के लिए एक मिसाल है. उनकी कामयाबी देखकर किसी का एक शेर याद आ गया जो बड़ा ही मौजूं है:-
ReplyDeleteअरे पर्वत ! तू कल तक जिसकी लाचारी पे हँसता था,
तेरी चोटी पे बैठा है वही बैसाखियाँ लेकर.
उपेन्द्र जी नमस्कार
ReplyDeleteये जो परिचय दिया आपने शब्दों मैं समेटने की कोशिश मात्र ही हैं पर बहुत कुछ नहीं भी समेट पाता हैं समय ...
बहुत कुछ अनकहा भी रह ही जाता हैं और वही वह जज्बा हैं जिसे ईश्वरीय भाव कहा जाता हैं
तब मैं उस जज्बे को केवल सलाम नहीं करता बल्कि दोनों हाथ जोड़ कर मांग लेता हूँ कुछ दुआ की तरह
हालाँकि....
तूफानों झंझावातों से हरदम कौन यहाँ घबराया हैं
पर जीवन के चौराहों पर हर तरफ इन्हीं का साया हैं
स्मृतियों को मिटा सके हमें इतना भी अधिकार नहीं
मुस्कान जिन्होंने दी हैं हमें ये दर्द भी उन्ही का जाया हैं
पर............जिंदगी यह भी हैं
बधाई आपको बहुत बहुत इस पुष्प की परिमल तो सुवासित होनी ही थी
आभा जी के जज्बे को सैल्युट करता हूँ। मेरे ब्लॉग पर एक 95% विकलांग बसंत साहू जी के जीने के जज्बे को देखें।
और समाज की ऐसी कर्मठ विभुतियों से मिलाते रहें। यही है सार्थक लेखन।
आपका बहुत बहुत आभार व अभिनंदन करता हूँ।
परदेशी की प्रीत-देहाती की प्रेम कथा
आभाजी की इस जीवटता और बुवन्द हौसलों को नमन.
ReplyDeleteआभा जी के हौसले को नमन !
ReplyDeleteआभा जी से परिचय कराने के लिए धन्यवाद !
कौन कहता है कि आसमॉ में सुराख नही हो सकता
ReplyDeleteजरा एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों।
उनकी जीवटता को मेरा सलाम।
wakai prernadayak hai ham sabhi k liye.......koti koti naman........Shukriya upen ji
ReplyDeleteAatmwishwas ki jiti jaagti misal...mera sat-sat naman.
ReplyDeleteaur aapka dhanyawad jo aapne aisi shaksiyat se parichay karwaya...
abha di ki jitni bhi prashansa ki jaye kam hi hai...wo hamare jaise logo ke liye ek inspiration hain..
ReplyDeleteupendra ji bahut achcha laga .....
Upendr sir waise to aapne jo bhi likha Abha di ke vishay mein pahle se gyat tha mujhe par fir bhi padhna acha laga aur baar baar padhna bhi bhata hai yah sab ek asha dikhti hai ki tu hi akeli nahi hai bahuton ne yah sab jhela hai aur fir bhi aage nikle hain.u 2 can cross the hurdles.
ReplyDeleteआभा की जीवटता को सलाम करने को जी चाहता है।
ReplyDelete---------
ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेखा,टोने-टोटके।
सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है ?
इस प्रेरक व्यक्तित्व को सलाम। आभार आभा जी के परिचय के लिये।
ReplyDeleteआभा जी ने अपने कर्म से नयी रौशनी दी है आने वाली पीड़ी को ... नमन है उनके साहस और जज्बे को ...
ReplyDeleteइतने प्रेरक व्यक्तित्व से परिचय कराने के लिए आभार..उनके साहस और संघर्ष को नमन..
ReplyDeleteआभा जी के हौसले को नमन !
ReplyDeleteइतने प्रेरक व्यक्तित्व से परिचय कराने के लिए आभार.
बहुत सुन्दर और प्रेरक पोस्ट
ReplyDeleteऐसे लोग स्वयं में मिसाल बनते हैं और दूसरों को मशाल दिखाते हैं.
आभा जी के संघर्ष, उनकी इच्छाशक्ति और जीवटता को सलाम
आपका बहुत आभार उनसे मिलवाने के लिए
आभा जी के हौसले और हिम्मत को शत-शत नमन ॥
ReplyDeleteआभा जी को नमन। साथ ही उनके माता-पिता को भी। जिन्होने जीवटता दिखाई।
ReplyDeleteऐसे व्यक्तित्व से परिचित करवाने के लिये शुक्रिया उपेन्द्र जी। हिम्मत हो तो हर चीज मुमकिन है, और हम लोग हैं कि सिर्फ़ रोना जानते हैं।
ReplyDeleteफ़िर से शुक्रिया।
कुछ नयी प्रेरणा मिलती है आभा जी ने अपने नाम को सार्थक किया और अपनी आभा फैलाई है मन के हारे हार है मन के जीते जीत. प्रेरणा देती पोस्ट
ReplyDeleteऐसी प्रेरणादायी हस्ती को मेरा नमन
ReplyDeleteऐसी विरांगना को मेरा सर झुकाकर प्रणाम । आपका आभार इनसे रुबरु करवाने के लिए ।
ReplyDeleteनिःशक्त को निःशक्त कहना उचित नहीं, यह बात आभा जी ने सिद्ध कर दिखाया है।
ReplyDeleteसही सलामत हाथ-पैर वालों को भी आभा जी से सबक लेने की जरूरत है।
इस तेजस्विनी नारी को मेरा नमन।
Abha ji bahut sare jeevan ki prerna hai. unke housle ko naman
ReplyDeleteआभा के व्यक्तित्व को नमन जी
ReplyDeletevery nice post.ek mahan jeevat vali mahila se parichay karane ke liye aabhar.republic day ki aapko badhai
ReplyDeleteabhaji ko mera pranam.jaihind
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ...
ReplyDeleteआभा जी को सलाम
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर आप सभी ढेरों शुभकामनाये
गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनायें.
ReplyDeleteआभा जी को नमन .....!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्रेरक पोस्ट
ReplyDeleteऐसे लोग स्वयं में मिसाल बनते हैं और दूसरों को मशाल दिखाते हैं.
आभा जी के संघर्ष, उनकी इच्छाशक्ति और जीवटता को सलाम
आपका बहुत आभार उनसे मिलवाने के लिए
जब उड़ने की तमन्ना हो तो आकाश ख़ुद बुलाता है ...........बहुत बहुत नमन ऐसे कोशिश को
ReplyDeleteक्या आज के बदलते समय में परम्परा और आधुनिकता की टकराव में हमारा युवा वर्ग का जीवन पिस कर रह जायेगा ?? क्या प्रेम विवाह (अंतरजातीय विवाह )गुनाह है आज ये एक सोंचनीय विषय बन गया है युवाओं के सामने ..........इस पर कुछ विचार की आशा रखती हूँ आपसभी से .........
आपको गणतंत्र दिवस की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeleteवन्दे मातरम्
आभा जी हम सभी के लिये प्रेरणा है ।
ReplyDeleteसच अगर हौसले हो तो नामुंकिन जैसे शब्दों की हस्ती स्वयं ही समाप्त हो जाती है
बहुत सुन्दर. बहुत ही सुन्दर!
ReplyDeleteउपेन्द्र भाई, इस प्रेरक आलेख के लिए तहेदिल से बधाई.
Happy Republic Day!
इस जीवटता के नाम जिन्दगी।
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामनायें.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ....शुभकामनायें
is parichaye ke liya dhanvyad.
ReplyDeleteआभा जी का हौसला....सबके लिए प्रेरणा का स्वरुप है. जिस जीवटता से उन्होंने जीवन की कठनाइयों का सामना किया है और मंजिलों पर विजय प्राप्त कर लोगो को नई राह दिखाई है...नमन योग्य है.
ReplyDeleteउनका परिचय और उनकी कविता प्रस्तुत करना का आभार
इस जज्ब़े को सलाम....सबके लिए प्रेरणा देने वाला है...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा आशा जी के बारे में जान कर ... आभार आपका
ReplyDeleteAbah ji ko kaun nhu jaanta aaj !
ReplyDeletemera bhi unse koi 2-3 saal purana rishta he , Orkut ke madhyam se, Kabhi kabhi batcheet ka mauka milta he ! jitna mene jana he unko,
bas yahi kahunga "she is a Lady with Ironical Thought"
नमन !!!!
ReplyDeleteनमन !!!!
नमन !!!!
इस हौसले को सलाम..अच्छी पोस्ट.
ReplyDeletesach mein agar honsla buland ho to insaan kuch bhi kar sakta hai..
ReplyDeletePls Visit My Blog..
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is mahan aur prerak vyaktitwa ko mera salaam !
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