१.
हथियारों के दलाल
खा गए सब हथियार
सुना है कि
फौजी लड़ते है
लाठी और गुलेल से।।
२.
कुछ गरीब और आदिवासी
रोजी रोटी के लिए
फ़ौज में भर्ती हुए थे
सुना है कि
उनकी शहादत पर
उनके झोपड़े को आलिशान महल
बना देने की तयारी है।।
३.
ना कोई हंगामा हुआ
ना किसी ने पत्थर फेंके
ना कर्फ्यू लगाने की जरुरत पड़ी
और ना ही किसी ने मोमबत्तियाँ जलायी
सुना है कि
अभी अभी कुछ फौजियों की
अंतिम यात्रा यहाँ से गुजरी है।।
४.
आज भारत बंद नहीं है
सिर्फ कुछ जवान ही तो मरे है
सुना है कि
धर्मनिरपेक्ष और मानवतावादी
कुछ दिनों की छुट्टियों पर
आराम फरमाने निकल पड़े है
थक गए थे बेचारे
वैसे भी ये तो उन फौजियों का फर्ज था
किसी मानवाधिकार का उलंघन नहीं।।
१३ मार्च को श्रीनगर में शहीद हुए इन जवानों को सलाम और अश्रुपूरित विदाई |
दुखद घटना, अश्रुपूरित श्रद्धांजलि
ReplyDeleteमन हिल जाता है ये सब जानकर ..... नमन हमारे सिपाहियों को
ReplyDeleteआह ...बस यही निकलता है दिल से. देश के रक्षकों को शत शत नमन है.
ReplyDeleteकाश हम समझ पाते उनकी शाहदत.
सभी अमर शहीदों को शत शत नमन !
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन आम आदमी का अंतिम भोज - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
हथियारों के दलाल
ReplyDeleteखा गए सब हथियार
सुना है कि
फौजी लड़ते है
लाठी और गुलेल से।।
एक अफसोसजनक सत्य !
दुखद.
ReplyDeleteकाश काश और काश.
ReplyDeleteशहीदों को श्रध्दांजली तो ापने दी है सही मायने में । बहुत सटीक क्षणिकाएं ।
ReplyDeleteसच्ची बात!
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन: कोई दूर से आवाज़ दे चले आओ मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteहर कटु सत्य उजागर कर दिया
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