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Wednesday, March 16, 2011

लघु कथा--- आखिरी मुलाकात

             
       (अपनी लिखी एक पुरानी लघुकथा जो दैनिक 'हिंदी मिलाप'  में १० अगस्त २००२ को प्रकाशित हुई थी  ) 

                आज प्रेमी और प्रेमिका दोनों बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला करने के लिए मिले थे. प्रेमिका ने आँखों में घड़ियाली आँसू भरकर प्रेमी के सामने अपना रोना रोया , " डियर, मै तो तुम्हारे बिना जीने की कल्पना से ही कांप जाती हूँ , क्या करूँ ? मेरा खूसट  बाप हम दोनों के प्रेम के बीच में आ गया है. उसने किसी भी कीमत पर हम दोनों को एक न होने देने की कसम खा रखी है. अब मै अपने बाप के खिलाफ भी नहीं जा सकती . क्या ऐसा नहीं हो सकता की हम दोनों आपसी सहमति से अलग हो जाये ? "
                प्रेमिका की समझ में वैसे अपने बाप की सीख  बहुत जल्दी आ गयी थी. सच भी तो था, प्रेमी बेरोजगार था. शादी के बाद जिंदगी की गाड़ी आगे चलने के लिए तो  पैसे  की जरुरत पड़ेगी ऐस - आराम की जिंदगी बेरोजगार पति के सहारे मुश्किल थी. इसलिए वह  आज प्रेमी को साफ साफ मना कर देने का इरादा करके आई थी. 
               प्रेमी ने घबराने का नाटक करते हुए सीने पर हाथ रखकर कहा , " मेरी जान, ये तुम क्या कह रही हो,  तुम्हारे बिना तो मै ख़ुदकुशी कर लूँगा. "
               प्रेमी को तो बिलकुल यकीं ही नहीं हो रहा था . मानो  प्रेमिका ने उसके मन की बात छीन ली हो . पीछा छुड़ाने का इरादा तो वह भी आज करके आया था. बाप के पसंद की लड़की से शादी होते ही लड़की का बाप अपने विभाग में उसकी नौकरी लगाव देने का वादा किया था. प्रेमी मन ही मन खुश हो रहा था.
              लड़की ने सुबकते हुए कहा , मगर डियर, हम अकेले इस प्यार की दुश्मन दुनिया से कब तक लड़ पायेंगे, सच दुनिया वालों ने हम प्यार करने वालों के लिए कितने बंधन बना रखे है "
              " ठीक है मेरी जान,अगर तुम्हारे ख़ुशी के इतना कुछ किया तो आज क्या तुम्हारी ख़ुशी के लिए इस प्यार की कुर्बानी नहीं दे सकता. तुम्हारी ख़ुशी ही मेरी ख़ुशी है. मगर एक बार............ " प्रेमी की आँखों में वासना के कीडे तैर रहे थे.
               " ठीक है मगर आज के बाद तुम हमेशा के लिए मुझे भूल जाओगे "  प्रेमिका को तो जैसे यकीं ही नहीं हो रहा था की प्रेमी इतनी आसानी से पीछा छोड़ देगा. प्रेमिका को लगा की प्रेमी ने उसके मन की बात छीन ली. इतनी छोटी सी कीमत .अब सिर्फ इस एक मुलाकात के बाद बाप के पसंद के अमीरजादे  से शादी करने के लिए स्वतंत्र होगी. प्रेमिका ने स्वीकृति दे दी और दोनों एक दुसरे से लिपट गये. जिंदगी भर साथ जीने- मरने के  कसमें और वादे घुट- घुट कर दम तोड़ रहे थे.

39 comments:

  1. स्वार्थी और बनावटी लोगों से दुनिया भरी पड़ी है ।

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  2. बहुत दिन बाद आये...
    ये कहानी शायद कभी पढ़ी है...
    अच्छी लगी... :)

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  3. हा-हा-हा...इसे कहते है तू भी खुश , मैं भी खुश !

    मगर आजकल इनकी वजह से बेचारे बड़े सूटकेशों की जान पर आन पडी है !

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  4. न जाने कैसे कैसे किनारे।

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  5. मतलबी दुनिया के ये मतलबी रास्ते । रोचक कथा ।

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  6. मतलब के रिश्ते ...और वासना अंधी होती है .

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  7. इस लघु कथा को उत्तम श्रेणी की लघुकथाओं में सबसे ऊपर रखा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी !
    बहुत ही मारक व्यंग्य के साथ सच्चाई का इतना सुन्दर निरूपण बहुत कम देखने को मिलता है !
    आभार !

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  8. बेहतरीन प्रस्तुति.

    सोचने को बाध्य करती है...

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  9. बहुत सुन्दर...आज का यथार्थ

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  10. यही है आज की दुनिया और यही है आज का प्यार.

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  11. आज के दौर में यही प्यार है...

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  12. सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी .. और दोनों ख़ुशी से रहने लगे

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  13. ऐसा अन्त तो सोचा भी नहीं था..

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  14. यही तो हे आज कल का सच्चा प्यार.......

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  15. प्यार! अरे भई वो कौन सी चिड़िया का नाम है। अगर कहीं मिले तो हमें भी बताईयेगा। होली की शुभकामनाएॅ।

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  16. ha yahi sacche pyar hai----nahi nahi----

    ye to kacc-----e ka pyar hai -----------


    jai baba banras....

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  17. wonderful story.a satire indeed.too realistic ..

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  18. हा...हा...हा....

    सच्ची तस्वीर खींची है ......

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  19. प्रेम था ही कहाँ। प्रेम कभी स्वार्थी नहीं होता। प्रेम के विद्रूप चेहरे को बेनकाब करती यथार्थपरक कथा।

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  20. ये कैसा प्रेम ??
    शायद हम इसे प्रेम ना ही कहे ?
    मगर आज क यह सच है ,
    अनगिनत ऐसे प्यार स्माज के बीच पल रहे है

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  21. खामोशी भी और तकल्लुम भी ,
    हर अदा एक क़यामत है जी
    @ आप कितना अच्छा लिखती हैं ?
    मुबारक हो आपको रंग बिरंग की खुशियाँ .
    हा हा हा sss हा हा हा हा ssss

    http://shekhchillykabaap.blogspot.com/2011/03/blog-post.html

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  22. होली पर शुभकामनाये !

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  23. हफ़्तों तक खाते रहो, गुझिया ले ले स्वाद.
    मगर कभी मत भूलना,नाम भक्त प्रहलाद.

    होली की हार्दिक शुभकामनायें.

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  24. होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  25. होली की हार्दिक शुभकामनायें।


    http://rimjhim2010.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html

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  26. होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं.....

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  27. मतलबी रिश्ते...आज का यथार्थ ....
    बेहतरीन लघुकथा...

    आपको रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !

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  28. भौतिकता और वासना के इस द्वंद्व में,प्रेम कहीं गुम हो गया लगता है।

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  29. बेहतरीन लघुकथा|
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें|

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  30. yah bhi ek sachchai hai aur aapne bahut khoobsoorti se inhe shabdon me ukera hai.holi ki bahut bahut shubhkamnayen

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  31. prem vahi dhan daulat se tootta hai jiski neev lalach aur vasna par dhari ho aur aapne apni laghu katha ke madhayam se aise pyar ko hi varnit kiya hai.
    holi ki srijan shekher sahit aapko hardik shubhkamnayen.

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  32. यथार्थ उगल रही है ... पर कितना काड़ुवा यथार्थ है ..
    आपको और समस्त परिवार को होली की हार्दिक बधाई और मंगल कामनाएँ ....

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  33. नेह और अपनेपन के
    इंद्रधनुषी रंगों से सजी होली
    उमंग और उल्लास का गुलाल
    हमारे जीवनों मे उंडेल दे.

    आप को सपरिवार होली की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर
    डोरोथी.

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  34. बेहतरीन प्रस्तुति.

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  35. रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
    कई दिनों व्यस्त होने के कारण  ब्लॉग पर नहीं आ सका
    बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..

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  36. कहानी का सच, सच्‍ची कहानी.

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  37. क्या यही प्यार है ?
    हाँ यही प्यार !!! है ।

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  38. बस यही प्यार है

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  39. पढ़कर सोचने पर विवश हुई . अच्छा लिखा ..अच्छी लगी . ...

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