एक गो छोट सस्मरण अपने बचपन कै शेयर कईल चाहत बानीं यहवां। बचपन के दिन आजमगढ़ के सगड़ी तहसील के एक छोट से गाँव में बीतल। उ बेला में कौनो शादी - बियाहे और कर- परजा में नौटंकी, बिरहा और आल्हा का बड़ा चलन रहे। खाली पता चली जाये की कौने गांवें में आल्हा - बिरहा के प्रोग्राम बटे , बस जईले के जुगत भिंडावल जाईल जात रहे।
उ समय में गुल मुहम्मद " बीपत " के आल्हा बड़ा जोर मचवले रहल। बगल के एक गांवें मंझारियां में उनकर आल्हा आईल रहल। पूरा पढने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करे...
आल्हा के दीवानगी
उ समय में गुल मुहम्मद " बीपत " के आल्हा बड़ा जोर मचवले रहल। बगल के एक गांवें मंझारियां में उनकर आल्हा आईल रहल। पूरा पढने के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करे...
आल्हा के दीवानगी