खंजर
ये खुदा
एक गुजारिश है तुमसे
अगली बार खंजर
उनके हाथों में
थमाने से पहले
न भूल जाना
इस दिल को पत्थर बनाना
ताजमहल
इतना भी इतराना
ठीक नहीं
अपनी इस सुन्दरता पर
न काटे गए होते
हाथ कारीगरों के
तो आज हर घर
इक ताजमहल रहा होता
मुस्कराहट एक गुनाह
ये मुस्कराहट
चली जाये तो
सन्नाटा
आ जाये तो
गुनाह
उन्हें गुनाह पसंद नहीं
और हमें सन्नाटा
इस तरह बढती रही
हमारे गुनाहों की संख्या
प्यार
सिर्फ ढाई आखर
उनके लिए
जो शब्दों को देते है मोल
जिया जाय तो कम है
सात जन्म भी
समझने के लिए
.
bahut kam shabdo me bahut hee gahare bhaw ..wah....
ReplyDeleteबहुत ही सुंदरप्रस्तुति.............
ReplyDeleteसदियों का सत्य छिपा है इन क्षणिकाओं में।
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर एवं सार्थक क्षणिकायें
ReplyDeleteSunder Kshnikayen
ReplyDeleteसभी एक से बढ़कर एक....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ...
ReplyDeleteसभी बेहतरीन है...
इन्हें कल की ब्लॉग बुलेटिन पर ले रहा हूं, पर अगर लौक न किया होता तो कुछ पंक्तियां कट पेस्ट कर देता।
ReplyDeleteलाजवाब .. बस एक शब्द हैं इनके लिए।
dhanyabad sir, is samman ke liye.
Deleteगज़ब की क्षणिकाएँ ।
ReplyDeletesabhi ek se badhkar ek..
ReplyDeleteसच कहा है प्यार के लिए सात जन्म भी कम हैं ...
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