सृजन _शिखर : मेरे ख्यालों का खुला आसमां
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Friday, September 9, 2016
पीड़ा
तुम कहो
या न कहो
रोटी
बता देती है
तुम्हारी पीड़ा
जिस दिन
ज्यादा जली
ज्यादा पीड़ा
कम जली
कम पीड़ा
नहीं जली
यानी ठीक हो
मगर इतनी भी ख़ामोशी
अब ठीक नहीं
बहुत दिन हो गए
खाये बिन जली रोटी।
1 comment:
उपेन्द्र नाथ
December 19, 2021 at 7:17 PM
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