सृजन _शिखर : मेरे ख्यालों का खुला आसमां
चलो आज मरते है
एक मौत
झूठ-मूठ की
और देखते है
कितना अलग है
जिन्दगी रोज से
कितने लोग सच में रोते है
और कितने हमदर्द खुश होते है
पता तो चले हम जिन्दगी भर
परेशान रहे जिनके लिए
वो कितना परेशान है हमारे लिए
देखे इस जिन्दगी की
हकीकत क्या है।
No comments:
Post a Comment