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Thursday, July 21, 2011

जो लौट के घर ना आयें......(कारगिल युद्द - मई से जुलाई 1999 )

जो लौट के घर ना आयें......

दुश्मनों को  इस सरजमीं से खदेड़ हमने अपना वादा निभाया
लो सम्हालो ये देश प्यारों अब अलविदा कहने  का वक्त आया .।।
आजाद है अब ये सरहद हमारी हौसले दुश्मनों के पस्त हुए 
मुश्किल परिस्थितियों में भी हमने उन्हें यहाँ से मार भगाया ।।
नापाक इरादे लेकर आये थे वे पलभर में हमने खाक कर दिया   
 हर चोटी पर फिर से हमने अपना झंडा ये तिरंगा फहराया ।।
इसे सम्हाल कर रखना हरदम क़ुर्बानी  फिर बेकार न जाये 
दुश्मन के नापाक परछाईयों  की फिर न पड़े कभी छायां।।
बस  भूल  न  जाना  उन्हें  जो  लौट  के  घर ना  आये 
जिसने लगा दी जान की बाजी और सब कुछ अपना गवाया ।।


18 comments:

  1. झंडा ऊंचा रहे हमारा....
    बहुत अच्छी रचना...

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  2. बस इतना याद रहे ... एक साथी और भी था ...
    कारगिल युद्ध के सभी वीरो को मेरा शत शत नमन !
    जय हिंद !!

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  3. जय हिंद....जय हिंद की सेना..

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  4. कुर्बानियां व्यर्थ ही तो जा रही हैं...

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  5. लेकिन मैं उन सभी वीर भाइयों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूं जिनके कारण आज मैं सुरक्षित हूं... नमन..

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  6. बहुत प्रेरणादायी व् देशभक्ति की भावनाओं से ओत -प्रोत कविता आपने इस अवसर पर प्रस्तुत की है..

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  7. वीरो को मेरा शत शत नमन !
    शब्द-शब्द संवेदनाओं से भरी मार्मिक रचना ....

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  8. परनाम शहीदा नू.

    भावुक कविता...

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  9. सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
    देखना है जोर कितना बाजु ए कातिल में है।

    वीर रस से भरी रचना। आभार।

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  10. नमन है उन सभी वीरों को जो देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं ... बहुत भावपूर्ण रचना

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  11. देश हमारा अमर रहेगा।

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  12. कारगिल के वीरों को नमन है ...

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  13. उन सभी वीरों को शत शत नमन...बेहद भावपूर्ण प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  14. देशभक्ति का मर्म समझाती सुन्दर सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार!
    देश की सरहदों पर अपना सबकुछ छोड़-छाड़कर हरदम तत्पर रहकर हिफाजत करने वाले वीर सैनिकों को हमारा नमन!

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  15. बहुत अच्छी रचना

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  16. देश के शहीदों को नमन.

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  17. जय!! हिन्द के जवान....जय हिन्द निवासी..जय..जय....

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