मुख्यमंत्री जी !
हमें पता चला है की
आप और आप के मंत्री लोग
हजारो के बेड पे चैन की नींद सोते है
करोड़ो के नोट की मालाओं से
मंच पर आप सबका स्वागत होता है
मंच पर सोने चांदी के सिक्के से तौला जाता है ।
तीन साल हो गए आप लोंगो को
दर्शन दिए हुए
तब और आज में
बहुत हो गया है अंतर :-
जब पिछली बार आप लोग आये थे
तबसे बिटिया बहुत बड़ी हो गयी है
मगर कॉलेज नहीं जाती
क्योंकि उसके गले में
एक अदद दुपट्टा नहीं है ।
हम जमीं पर सोया करते है
क्योंकि हमारे पास जो खटिया थी
कुछ ही दिन पहले टूट गयी है
और अब शायद फिर कभी न बने
( हा ये वही खटिया थी
जिसपर कुछ दिन पहले
एक युवराज आकर बैठे थे और
हमारी थाली में खाना खाए थे )
क्योंकि हरिया के पापा तो कुछ दिन पहले ही
बैंक के कर्ज के बोझ तले पेड़ से लटक चुके है।
महगाई तेजी से बढ रही है
इसलिए आप लोग भारत बंद पर है
मगर सुना है गोदामों में अन्न सड़ रहे है
और कल पड़ोस का चिंटू भूख से मर गया।
सुना है करोडो के कही पार्क बन रहे है
रातो -रात शहर के नक़्शे बदल रहे है
मगर हमें चिंता है की कही इस बारिष में यह
झोपड़ी बचेगी या नहीं
नहीं तो जब आप लोग जब अगली साल
हमारे घर आयेगे वोट माँगने
या फिर कोई दूसरा युवराज ही आ गया
तो कैसे मै करूगी आव-भगत ।
और सुनिए गाँव में एक स्कूल था
जिसकी छत इस बारिश में गिर चुकी है
और स्कूल चल रहा है खुले में आसमान के नीचे ।
कहने को तो बहुत कुछ है
मगर ये सब में आज क्यों लिखवा रही हूँ
दो साल बाद तो आप लोग आयेगे ही
अपने लुभावने वादों के साथ वोट मांगने
तो खुद ही देख लीजियेगा ।
हाँ एक बात और
इस बार आप लोंगो को हरिया नहीं मिलेगा
इस गाँव के मोड़ पर अगवानी करने के लिए
क्योकि पिछली बार चुनाव के एक दिन पहले
किसी ने कच्ची शराब पीलाकर लेली थी उसकी जान ।
और हा, इस सवाल के जबाब के लिए
तैयार होकर आइयेगा कि
क्या यही प्रजातंत्र है ?
वर्ना सिंहासन कर दीजिये खाली
की जनता आ रही है राजधानी में
एक सवाल और
क्या इस प्रजातंत्र में ये संभव है कि एक दिन
सिर्फ एक दिन आप लोग हम सबकी जिंदगी जिए
और हम सब आप की। ।
--हस्ताक्षर --
( आप के सूबे की एक चालीस वर्षीया भूखमरी के कगार पर पहुंची एक निरक्षर महिला मतदाता )
तक है । क्या वो हमारे पास सिर्फ पांच साल के बाद ही आया करेगे ?"
सटीक....आज शासकवर्ग और जनता का यही हाल है...
ReplyDeleteकमेंट्स की सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें..टिप्पणीकर्ताओं को आसानी होगी ..
sangita ji aapka sukriya
ReplyDeleteऔर हा इस सवाल के जबाब के लिए
ReplyDeleteआप तैयार होकर आइयेगा कि
क्या इस प्रजातंत्र में
ये संभव है कि एक दिन
सिर्फ एक दिन आप मेरी जिंदगी जिए
और मै आप की।
सहमत हूं आपकी सामयिक अभिव्यक्ति से, धन्यवाद इस प्रस्तुति के लिए.
आप्ने दिल की बात को बहुत ही सुन्दर अर संवेदनशील् ढंग से प्रस्तुत किया है....
ReplyDeleteचन्दर मेहेर
lifemazedar.blogspot.com
kvkrewa.blogspot.com
सहज , सुंदर और यथार्थ को प्रस्तुत करने वाली प्रस्तुति ...
ReplyDeleteनिरक्षर को अक्षर देना और मूकता को स्वर देना यही लेखक धर्म है जिसे आप बाखूबी निभा रहे हैं.
ReplyDeleteइस सुंदर से ब्लॉग के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteउपेंद्र जी,
ReplyDeleteहमरा धन्यवाद सुइकारिए अपना ई तूती का आवाज़ के लिए... हमको उम्मीद है कि एक दिन उनका नक्कारखाना में ई आवाज गूँजेगा जरूर...भले हम नहीं हों ऊ दिन देखने के लिए, लेकिन वो सुबह कभी तो आएगी... तब सीन चेंज होगा… बहुत सम्बेदनसील रचना है, लेकिन जो सुनकर भी अनसुना कर दे उसको कीसे सुनाई देगा..
बहुत अच्छा व्यंग है
ReplyDeletecharon or jo ho raha hai us par rachna me nishana sadhna achchhi bat hai.
ReplyDeletesangita swarup ji
ReplyDeletesanjeev tiwari ji
avtar ji
swami ji
pratul ji
sangita puri ji
verma ji
shashank ji
aur praboth ji
app sabhi longo ka tahe dil se hardik aabhar yeha aaker aashish dene ke liye.
http://ruftufstock.blogspot.com/
ReplyDeleteaap ne mujhe hindi litrature books ke khajane ka rasta bata diya.......... abhi tak mujhe sirf hans aur bagarth ki website pata thi......
bahoot bahoot dhanyabad
sangeeta ji word verification hut gaya hai .............sujhav ke liye dhanyabad
ReplyDelete"अंतर्मन के कपाटों पर दस्तक देती - सटीक, सार्थक तथा मर्मस्पर्शी रचना"
ReplyDeleteReal hard hitting facts.Bahut sundar....
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
राकेश जी
ReplyDeleteमहेंद्र जी
अजय जी
इस ब्लाग पर आकर अपना कीमती सुझाव देने के लिये आप लोंगों का धन्यबाद
संगीता जी
ReplyDeleteकविता को इस लायक समझने के लिये आप का आभार
नमस्कार ! आपकी यह पोस्ट जनोक्ति.कॉम के स्तम्भ "ब्लॉग हलचल " में शामिल की गयी है | अपनी पोस्ट इस लिंक पर देखें http://www.janokti.com/category/ब्लॉग-हलचल/
ReplyDeleteहिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
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जयराम जी
ReplyDeleteइतना सम्मान देने के लिये आपका हार्दिक आभार
upendra ji .......netaaon ke is kadve sach ko ujaagar karti is sanvedansheel rachna ke liye apko badhai...............
ReplyDeleteक्यों देते हो वोट( एसे लोगों को)? सोचो..दोषी कौन?
ReplyDeletesatakshi ji
ReplyDeleteshyam shahab
aap longo ka sukriya