ललक है बाकी अभी उड़ने की अगर तो
मुश्किल है ये कहना कि आसमां न मिले
राहे हैं बडी मुश्किल तो क्यों न होती रहें
जरूरी नहीं कि पत्थरों पर निशां न बने
बुझ सकती है शमां तुफां से मगर
जरूरी नही कि दुबारा फिर शमां न जले
मुश्किल है कि एक मुकर्रर जहां न मिले
मगर ये तो नही कि कछ भी यहां न मिले
तुम कोशिस करो तो सही ये जरूरी नहीं कि
पहले से बेहतर फिर आशियां न बने ।।
good one...
ReplyDeletejust as Dushyant said'
Aasman me bhi chhed ho sakta hai,
ek pathar to tabiyat se uchhalo yaron...