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Friday, July 23, 2010

मुख्यमंत्री जी सुनिए !

(ये कविता एक निरक्षर महिला मतदाता के शब्दों की सिर्फ कलम भर है )

मुख्यमंत्री जी !

हमें पता चला है की
आप और आप के मंत्री लोग
हजारो
के बेड पे चैन की नींद सोते है
करोड़ो के नोट की मालाओं से
मंच पर आप सबका स्वागत होता है
मंच पर सोने चांदी के सिक्के से तौला जाता है

तीन साल हो गए आप लोंगो को
दर्शन दिए हुए
तब और आज में
बहुत हो गया है अंतर :-
जब पिछली बार आप लोग आये थे
तबसे बिटिया बहुत बड़ी हो गयी है
मगर कॉलेज नहीं जाती
क्योंकि उसके गले में
एक अदद दुपट्टा नहीं है ।

हम जमीं पर सोया करते है
क्योंकि हमारे पास जो खटिया थी
कुछ ही दिन पहले टूट गयी है
और अब शायद फिर कभी बने
( हा ये वही खटिया थी
जिसपर कुछ दिन पहले
एक युवराज आकर बैठे थे और
हमारी थाली में खाना खाए थे )
क्योंकि हरिया के पापा तो कुछ दिन पहले ही
बैंक के कर्ज के बोझ तले पेड़ से लटक चुके है।

महगाई तेजी से बढ रही है
इसलिए आप लोग भारत बंद पर है
मगर सुना है गोदामों में अन्न सड़ रहे है
और कल पड़ोस का चिंटू भूख से मर गया

सुना है करोडो के कही पार्क बन रहे है
रातो -रात शहर के नक़्शे बदल रहे है
मगर हमें चिंता है की कही इस बारिष में यह
झोपड़ी बचेगी या नहीं
नहीं तो जब आप लोग जब अगली साल
हमारे घर आयेगे वोट माँगने
या फिर कोई दूसरा युवराज ही गया
तो कैसे मै करूगी आव-भगत

और सुनिए गाँव में एक स्कूल था
जिसकी छत इस बारिश में गिर चुकी है
और स्कूल चल रहा है खुले में आसमान के नीचे

कहने को तो बहुत कुछ है
मगर ये सब में आज क्यों लिखवा रही हूँ
दो साल बाद तो आप लोग आयेगे ही
अपने लुभावने वादों के साथ वोट मांगने
तो खुद ही देख लीजियेगा

हाँ एक बात और
इस बार आप लोंगो को हरिया नहीं मिलेगा
इस गाँव के मोड़ पर अगवानी करने के लिए
क्योकि पिछली बार चुनाव के एक दिन पहले
किसी ने कच्ची शराब पीलाकर लेली थी उसकी जान

और हा, इस सवाल के जबाब के लिए
तैयार होकर आइयेगा कि
क्या यही प्रजातंत्र है ?
वर्ना सिंहासन कर दीजिये खाली
की जनता रही है राजधानी में
एक सवाल और
क्या इस प्रजातंत्र में ये संभव है कि एक दिन
सिर्फ एक दिन आप लोग हम सबकी जिंदगी जिए
और हम सब आप की। ।

--हस्ताक्षर --
( आप के सूबे की एक चालीस वर्षीया भूखमरी के कगार पर पहुंची एक निरक्षर महिला मतदाता )


"यह पत्र देश के शासक वर्ग से गरीब जनता का सिर्फ एक सवाल है की उनकी जबाबदेही हमारे प्रति कहा
तक है । क्या वो हमारे पास सिर्फ पांच साल के बाद ही आया करेगे ?"

23 comments:

  1. सटीक....आज शासकवर्ग और जनता का यही हाल है...



    कमेंट्स की सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें..टिप्पणीकर्ताओं को आसानी होगी ..

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  2. और हा इस सवाल के जबाब के लिए
    आप तैयार होकर आइयेगा कि
    क्या इस प्रजातंत्र में
    ये संभव है कि एक दिन
    सिर्फ एक दिन आप मेरी जिंदगी जिए
    और मै आप की।

    सहमत हूं आपकी सामयिक अभिव्‍यक्ति से, धन्‍यवाद इस प्रस्‍तुति के लिए.

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  3. आप्ने दिल की बात को बहुत ही सुन्दर अर संवेदनशील् ढंग से प्रस्तुत किया है....
    चन्दर मेहेर
    lifemazedar.blogspot.com
    kvkrewa.blogspot.com

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  4. सहज , सुंदर और यथार्थ को प्रस्तुत करने वाली प्रस्तुति ...

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  5. निरक्षर को अक्षर देना और मूकता को स्वर देना यही लेखक धर्म है जिसे आप बाखूबी निभा रहे हैं.

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  6. इस सुंदर से ब्‍लॉग के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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  7. उपेंद्र जी,
    हमरा धन्यवाद सुइकारिए अपना ई तूती का आवाज़ के लिए... हमको उम्मीद है कि एक दिन उनका नक्कारखाना में ई आवाज गूँजेगा जरूर...भले हम नहीं हों ऊ दिन देखने के लिए, लेकिन वो सुबह कभी तो आएगी... तब सीन चेंज होगा… बहुत सम्बेदनसील रचना है, लेकिन जो सुनकर भी अनसुना कर दे उसको कीसे सुनाई देगा..

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  8. बहुत अच्छा व्यंग है

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  9. charon or jo ho raha hai us par rachna me nishana sadhna achchhi bat hai.

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  10. sangita swarup ji
    sanjeev tiwari ji
    avtar ji
    swami ji
    pratul ji
    sangita puri ji
    verma ji
    shashank ji
    aur praboth ji

    app sabhi longo ka tahe dil se hardik aabhar yeha aaker aashish dene ke liye.

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  11. http://ruftufstock.blogspot.com/

    aap ne mujhe hindi litrature books ke khajane ka rasta bata diya.......... abhi tak mujhe sirf hans aur bagarth ki website pata thi......

    bahoot bahoot dhanyabad

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  12. sangeeta ji word verification hut gaya hai .............sujhav ke liye dhanyabad

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  13. "अंतर्मन के कपाटों पर दस्तक देती - सटीक, सार्थक तथा मर्मस्पर्शी रचना"

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  14. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  15. राकेश जी
    महेंद्र जी
    अजय जी
    इस ब्लाग पर आकर अपना कीमती सुझाव देने के लिये आप लोंगों का धन्यबाद

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  16. संगीता जी

    कविता को इस लायक समझने के लिये आप का आभार

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  17. नमस्कार ! आपकी यह पोस्ट जनोक्ति.कॉम के स्तम्भ "ब्लॉग हलचल " में शामिल की गयी है | अपनी पोस्ट इस लिंक पर देखें http://www.janokti.com/category/ब्लॉग-हलचल/

    हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में राज-समाज और जन की आवाज "जनोक्ति.कॉम "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें . अपने राजनैतिक , सामाजिक , आर्थिक , सांस्कृतिक और मीडिया से जुडे आलेख , कविता , कहानियां , व्यंग आदि जनोक्ति पर पोस्ट करने के लिए नीचे दिए गये लिंक पर जाकर रजिस्टर करें . http://www.janokti.com/wp-login.php?action=register,
    जनोक्ति.कॉम www.janokti.com एक ऐसा हिंदी वेब पोर्टल है जो राज और समाज से जुडे विषयों पर जनपक्ष को पाठकों के सामने लाता है . हमारा प्रयास रोजाना 400 नये लोगों तक पहुँच रहा है . रोजाना नये-पुराने पाठकों की संख्या डेढ़ से दो हजार के बीच रहती है . 10 हजार के आस-पास पन्ने पढ़े जाते हैं . आप भी अपने कलम को अपना हथियार बनाइए और शामिल हो जाइए जनोक्ति परिवार में !

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  18. जयराम जी
    इतना सम्मान देने के लिये आपका हार्दिक आभार

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  19. upendra ji .......netaaon ke is kadve sach ko ujaagar karti is sanvedansheel rachna ke liye apko badhai...............

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  20. क्यों देते हो वोट( एसे लोगों को)? सोचो..दोषी कौन?

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