जिन्दगी- सात
कमबख्त
जिन्दगी होने लगी है
और भी मुश्किल से बसर
जबसे ख्यालों में
वो आजकल
आने लगे है अक्सर ।।
जिन्दगी- आठ
दोस्त क्या मिला है
किसको यहाँ
ये तो मुकद्दर
की बात है
वरना जिन्दगी यहाँ है
सिर्फ दो पलों की
एक छोटी सी मुलाकात ।।
बात जिन्दगी की
वो किये थे
खुद ही शुरू
मगर
जब हम सुनाने लगे
अपनी जिंदगी के हाल
वो रो दिए थे ।।
जिन्दगी पुरी
गुजर गयी
उस एक जख्म को
सिर्फ सहलाने में
जो दे गए थे वो
पल भर के
मन बहलाने में ।।
कमबख्त
जिन्दगी होने लगी है
और भी मुश्किल से बसर
जबसे ख्यालों में
वो आजकल
आने लगे है अक्सर ।।
जिन्दगी- आठ
दोस्त क्या मिला है
किसको यहाँ
ये तो मुकद्दर
की बात है
वरना जिन्दगी यहाँ है
सिर्फ दो पलों की
एक छोटी सी मुलाकात ।।
जिन्दगी- नौ
बात जिन्दगी की
वो किये थे
खुद ही शुरू
मगर
जब हम सुनाने लगे
अपनी जिंदगी के हाल
वो रो दिए थे ।।
जिन्दगी- दस
जिन्दगी पुरी
गुजर गयी
उस एक जख्म को
सिर्फ सहलाने में
जो दे गए थे वो
पल भर के
मन बहलाने में ।।
अंतिम सबसे बेहतर..
ReplyDeletewaah bahut sunder!
ReplyDeleteज़िंदगी के कितने रूप दिखाए आपने उपेन बाबू!! मगर हर रूप में निराली लगी ये ज़िंदगी!!
ReplyDeleteवाह ..हर क्षणिका लाजवाब .
ReplyDeleteबड़े दिनों की अधीर प्रतीक्षा के बाद आज आपका आगमन हुआ है
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
बहुत बढ़िया |
ReplyDeleteबढ़िया, जिन्दगी नौ बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteज़िंदगी इन सभी क्षणिकाओं में खुलकर सामने आयी है!! बहुत सुन्दर!
ReplyDelete10 जिंदगी के अलग अलग रंग ....बहुत खूब
ReplyDeleteजिंदगी के गजब के रंग बिखेरे हैं शब्दों मे।
ReplyDeleteसादर
छोटे पर प्रभावी..
ReplyDeleteजिंदगी के कुछ खट्टे मीठे पलों को आपने खूबसूरती से शब्दों में कैद कर लिया है।
ReplyDeleteबढ़िया..बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति....
ReplyDeleteबहुत ही सटीक भाव..बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ..इतना उम्दा लिखने के लिए !!
वाह जी बढ़िया कविताएं.
ReplyDeleteमन को बहला कर ही सही, जीवन का आनंद उठाना चाहिए।
ReplyDeleteवाह सुंदर प्रस्तुति....
ReplyDelete