उसके पति उससे कह कर सोये थे कि सुबह - सुबह थोडा जल्दी जगा देना कल जल्दी ऑफिस जाना है । परन्तु सुबह उसकी भी नींद देर से खुली।
" रात भर क्या खाक छान रही थी जो सुबह जगा नहीं सकी " पतिदेव गुस्से में चीखे।
" रात में थोड़ा अच्छा सा सपना आ गया था ।"
" किस मजनूं के सपने देख रही थी , जरा में भी तो सुनूं। पति का गुस्सा बढता ही जा रहा था ।
" आज आप गुस्सा क्यों हो रहें हैं। सपने में हम तथा आप एक सुन्दर झील के किनारे.......।"
पति का गुस्सा कम होने लगा था तथा पत्नी ने राहत की सांस ली।
(प्रकाशित ०७ अप्रैल १९९९ हिन्दी देनीक " आज ")
" रात भर क्या खाक छान रही थी जो सुबह जगा नहीं सकी " पतिदेव गुस्से में चीखे।
" रात में थोड़ा अच्छा सा सपना आ गया था ।"
" किस मजनूं के सपने देख रही थी , जरा में भी तो सुनूं। पति का गुस्सा बढता ही जा रहा था ।
" आज आप गुस्सा क्यों हो रहें हैं। सपने में हम तथा आप एक सुन्दर झील के किनारे.......।"
पति का गुस्सा कम होने लगा था तथा पत्नी ने राहत की सांस ली।
(प्रकाशित ०७ अप्रैल १९९९ हिन्दी देनीक " आज ")
hahahaahahahaha
ReplyDeleteaapne manbhavo ke badalne ke chitran
bakhubi kiya he is laghu kathanak me
badhai