सृजन _शिखर : मेरे ख्यालों का खुला आसमां
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Wednesday, June 9, 2010
दर्द
मूसल को
भले ही न हुआ हो
ओखली
में पडे
सिर के दर्द का एहसास
मगर सिर भला क्या
भूल पायेगा कभी
मूसल की मार को
।।
2 comments:
gyaneshwaari singh
June 9, 2010 at 11:45 PM
gagar me sagar
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Anonymous
August 3, 2010 at 6:15 PM
wow..!! nice..
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gagar me sagar
ReplyDeletewow..!! nice..
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