हे पाश्चात्य सभ्यता में रमी
जीवनदाहिनी माओं
अपनी सुडौल शरीर की चिंता करने वाली
कॉन्वेंट स्कूल से निकली
आधुनिक नारीओं !
बड़े शर्म की बात है कि
आज मनाना पड़ रहा है
विश्व स्तनपान सप्ताह
और बताना पड़ रहा है
कि कितना जरूरी है
ये स्तनपान
बच्चे की सेहत के लिए ।
माना की सौंदर्य पर
पड़ सकता है विपरीत प्रभाव
मगर बच्चे की सेहत से भी तो
है एक मजाक
और नहीं हो जाती
कर्तव्यो की इतिश्री
सिर्फ जन्म दे देने से ही
संस्कार तो अभी पूरा है बाकी ।
कल को कोई बच्चा
कैसे ललकार लगाएगा कि
असल माँ का दूध पिया है तो रूक
या अगर कल को कोई दुश्मन
सीमा पर ललकार लगा बैठा
कि पिया है दूध अगर
अपनी माँ का
तो आ जा सामने
तब क्या तुम
अपने अर्जुन के
मन की दुबिधा दूर कर पाओगी ।
( चित्र गूगल साभार )
मार्मिक,सटीक,सामयिक...
ReplyDeletebahut sahi rachna.....
ReplyDeletedil ko chu lene wali rachna
ReplyDeleteउपेन्द्र आपका कहा सही है .....पर मै पूरी तरह से इस से सहमत नहीं हूँ
ReplyDeleteमैंने अभी तक अपने इर्द गिर्द जितनी आज कल की मायों को देखा है वो सब अपने बच्चो को
स्तनपान करवाती है .....मुझे तो आज तक भी ये नहीं पता था की स्तनपान सप्ताह भी होता है
आपका प्रयास बहुत अच्छा है ......जो माँ स्तनपान से वंचित रखती है बच्चो को
उनके लिए तो खास कर अच्छा लिखा है आपने
आप सभी लोंगों का अभार
ReplyDeleteहा मै भी अनु जी आप से सहमत हूं क्योंकि केवल
ReplyDeleteकुछ ही लोगो के बारे में व बहुत थोडी सी ही इस प्रकार की प्रवृति पायी जाती है तथा उनहे ही जागृत करने के लिए यह सप्ताह हर साल अन्तर्राष्िटय स्तर पर मनाया जाता है