( चित्र गूगल साभार ) |
चाँद से भी ज्यादा तेरा रूप निखर आया है.
ठहर गए मुसाफिर सिर्फ एक झलक पाने को
हर लबों पर बस तेरा ही नाम छाया है.
चंचल हो उठी हवा मदहोश हो उठे भौरें
हर दिल मे तेरा अक्स उतर आया है.
बहुत गुमान रहता था आईने को खुदपर
देखकर तेरा हुस्न आईना भी शरमाया है.
दूर दूर तक फैली हुई है तेरे हुस्न की चर्चा
"उपेन्द्र" हर जर्रे जर्रे पर तेरा नाम उभर आया है .
बहुत खूब ... प्रेम में अक्सर ऐसा होता है ... हर सू महबूब दिखाई देता है ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति .........
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना ! प्रियतमा की अच्छी तारीफ़ है ....
ReplyDeleteतारीफ करूं क्या उसकी जिसने तुझे बनाया...
ReplyDeleteप्यार का बेहतरीन अंदाज़ अच्छा लगा
ReplyDeletepriyatam ki tarif ka is se behtarin andaz shyad aur kuch nahi ho sakta. sunder rachna. aabhar.
ReplyDeleteक्या कमाल,की रचना प्रिया की तारीफ सुंदर तरीके से की है ....शुभकामनायें
ReplyDeletenice upendra ji....
ReplyDeletekhubsurat rachna...
ReplyDeletebehad khoobsurat rachna
ReplyDeletebadhai kabule
वाह...बेहतरीन ग़ज़ल।
ReplyDeleteबहुत खूब.... बेहतरीन ग़ज़ल....
ReplyDeleteदिल मे उतर जाने वाले भाव्……………बेहद उम्दा रचना। गज़ब की बात कह दी।
ReplyDeleteउनकी खूबसूरती की इतनी तारीफें होगी तो रचना खुद ब खुद सुन्दर हो जायेगी..
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
ReplyDeleteबहुत गुमान रहता था----- बहुत अच्छी लगी रचना। बधाई।
ReplyDeleteभारत प्रशन मंच - 19 का सही जवाब
ReplyDeletehttp://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_13.html
ताऊ पहेली - 100 का सही जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/100.html
जाट पहेली- 24 का सही जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/24.html
Jaare zarre pe tera naam ubhar aaya hai
ReplyDeletebahut khoob!
212 1212 22
rang is sher ka bhi bhaya hai
Daad ke saath
आदरणीय उपेन्द्र जी
ReplyDeleteनमस्कार !
"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
हम तो आपकी भावनाओं को शत-शत नमन करते हैं.
.शब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
ReplyDelete@ संजय जी , इतना बड़ा सम्मान देने के लिए आभारी हूँ
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