सृजन _शिखर : मेरे ख्यालों का खुला आसमां
बहुत ही सुंदर भाव...... चित्र तो कमाल का है.....
बहुत सुन्दर.चित्र भी और शब्द भी.
बहुत सुन्दर चित्र और शब्द..
अच्छा लगा !
अरे वाह.... आर्टिस्टिक प्रस्तुति .मेरे घर आना जिंदगी..... फुर्सत मिले तो.
upendra ji, in chhoti panktiyo me bahut gahari baat kah di hai aapne . bahut hi sundar prastuti---- poonam
बढ़िया है...
खूबसूरत चित्र ने चार चाँद लगा दिए हैं शब्दों में ... बहुत खूब ....
अजी आपकी ये चंद लाइनें और इतना खूबसूरत चित्र कौन रूठ के जा सकेगा
.सुन्दर चित्र एवं बढ़िया प्रस्तुति !.
सच ,ज़िन्दगी इतनी ही खूबसूरत है,बस मुंह घुमा रक्खा है.कोईकैसे देख पायेगा इसका असली चेहरा ?
kam kaha...par sab kuch kah diya aapne...bahot sundar prastuti...
आशाओं का दामन नहीं छोड़ना चाहिए...सुन्दर भाव..बधाई. _________________'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
शब्दों से ज्यादा खिंचाव चित्र में है .....!!
बहुत खूबसूरत...और चित्र तो कमाल का है सर :)
@ रचना जी लेकिन अगर कोई रूठ जाये तो उसे मानना भी तो मुश्किल है.
@ आकांक्षा जी धन्यवाद, बहुत सही कहा आपने...आशा के बगैर शायद जीवन नहीं ...
@ हीर जी चित्र पसंद आये... शुक्रिया. एक्चुली मुझे इतनी उम्मीद नहीं थी की ये अंदाज लोंगों को इतना पसंद आएगा. बहुत ख़ुशी हुई.
manane ki koshish to kijiye upendra bhai. koi ruthkar kab tak har sakta hai. shyad maan jaye. chitra behad khubsurat hai. aabhar.
जितनी सुंदर कविता है उतना ही सुंदर चित्र भी।
6/10 बहुत ही कलात्मक व मनमोहक प्रस्तुति पहली नजर में सुन्दर सा ग्रीटिंग कार्ड ही नजर आया.आपका चित्र चयन और अर्थपूर्ण पंक्ति दिल जीतने में पूर्ण सक्षम है. आप इसका उपयोग किसी विशेष समय पर कर सकते हैं :)
bahut hi sunder aur manmohak
बहुत ही सुंदर भाव...... चित्र तो कमाल का है.....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.चित्र भी और शब्द भी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र और शब्द..
ReplyDeleteअच्छा लगा !
ReplyDeleteअरे वाह.... आर्टिस्टिक प्रस्तुति .
ReplyDeleteमेरे घर आना जिंदगी..... फुर्सत मिले तो.
upendra ji,
ReplyDeletein chhoti panktiyo me bahut gahari baat kah di hai aapne .
bahut hi sundar prastuti----
poonam
बढ़िया है...
ReplyDeleteखूबसूरत चित्र ने चार चाँद लगा दिए हैं शब्दों में ... बहुत खूब ....
ReplyDeleteअजी आपकी ये चंद लाइनें और इतना खूबसूरत चित्र कौन रूठ के जा सकेगा
ReplyDelete.
ReplyDeleteसुन्दर चित्र एवं बढ़िया प्रस्तुति !
.
सच ,
ReplyDeleteज़िन्दगी इतनी ही खूबसूरत है,
बस
मुंह घुमा रक्खा है.
कोई
कैसे देख पायेगा इसका असली चेहरा ?
kam kaha...par sab kuch kah diya aapne...bahot sundar prastuti...
ReplyDeleteआशाओं का दामन नहीं छोड़ना चाहिए...सुन्दर भाव..बधाई.
ReplyDelete_________________
'शब्द-शिखर' पर पढ़िए भारत की प्रथम महिला बैरिस्टर के बारे में...
शब्दों से ज्यादा खिंचाव चित्र में है .....!!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत...और चित्र तो कमाल का है सर :)
ReplyDelete@ रचना जी
ReplyDeleteलेकिन अगर कोई रूठ जाये तो उसे मानना भी तो मुश्किल है.
@ आकांक्षा जी
ReplyDeleteधन्यवाद, बहुत सही कहा आपने...आशा के बगैर शायद जीवन नहीं ...
@ हीर जी
ReplyDeleteचित्र पसंद आये... शुक्रिया. एक्चुली मुझे इतनी उम्मीद नहीं थी की ये अंदाज लोंगों को इतना पसंद आएगा. बहुत ख़ुशी हुई.
manane ki koshish to kijiye upendra bhai. koi ruthkar kab tak har sakta hai. shyad maan jaye. chitra behad khubsurat hai. aabhar.
ReplyDeleteजितनी सुंदर कविता है उतना ही सुंदर चित्र भी।
ReplyDelete6/10
ReplyDeleteबहुत ही कलात्मक व मनमोहक प्रस्तुति
पहली नजर में सुन्दर सा ग्रीटिंग कार्ड ही नजर आया.
आपका चित्र चयन और अर्थपूर्ण पंक्ति दिल जीतने में पूर्ण सक्षम है.
आप इसका उपयोग किसी विशेष समय पर कर सकते हैं :)
bahut hi sunder aur manmohak
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