याद आयी बहुत हम रोये बहुत
आंसुओं से ये पलके भिगोये बहुत ।।
बहुत चाहा की जी ले हम उनके बिना
पर ख्यालात बनकर वे याद आये बहुत।।
चित्र गूगल साभार |
पल भर भी न गुजरा दो वक्त सही
राह देख - देख लम्हें गुजारे बहुत।।
कसक उठती रही आह बढती रही
ग़मों के बोंझ हम उठाये बहुत।।
कुछ भी न रहा जिंदगी हुई तन्हा
" उपेन्द्र "कदम दर कदम हम खोये बहुत।।
बड़ा उदास कर रहे हैं आज..
ReplyDeleteकुछ भी न रहा जिंदगी हुई तन्हा
ReplyDelete"उपेन्द्र "कदम दर कदम हम खोये बहुत।।
लाजमी है ऐसे हालत में यह सब कुछ होना ...दिल को छूने वाले भाव
शुक्रिया
बहुत ग़मगीन सी गज़ल
ReplyDeleteaaj kuchh udas hai aap achhi lagi gajal
ReplyDeletebahut hee bhawuk prstuti
ReplyDeletekask uthti rahi aah badhati rahti.
ReplyDeletebhai sab kuch theek thaak hai.
@ भारतीय नागरिक जी
ReplyDelete@ सुनील कुमार जी
@ पूरबिया जी
बिलकुल सही हूँ . फिक्र करने के लिए शुक्रिया . ये सिर्फ गजल भर ही है. हाँ दिल से ग़ज़ल निकली तो दर्द का एहसास किसी कोने में कभी का जरूर रहा होगा या किसी के दर्द का सिर्फ एहसास भर भी .मेरे ब्लॉग पर अपना कीमती समय देने के लिए आभार.
@ केवल राम जी
ReplyDelete@ संगीता जी
@ विजय जी
ब्लॉग पर अपना कीमती समय देने के लिए हार्दिक आभार.
upendra ji, pyar ka matlab sirf pana hi nahi hota. kabhi kabhi sub kuch kho kar bhi hum bahut kuch pa lete hai. sunder rachna.
ReplyDeletekuchh yaad dila de bhule ko
ReplyDeletelikha apne kuchh itna gehra sa
mai doob gayi aur chhalke aansun
jab yaad aaya kisi ka pyaar wo thahra sa...
nice upnedra ji.....my reply for u....
भावुक कर देने वाली प्रस्तुति।
ReplyDeleteviyog ko samarpit achchee kavitaa...
ReplyDeleteय़ाद है ही ऐसी चीज जो रुला दे हंसा दे तनहा कर दे या मुलाकात की चाहत जगा दे । प्यार है तो याद भी आयेगी । भावभीनी रचना ।
ReplyDeleteमन अशांत हो उठा है मौन ही रहूंगी
ReplyDeleteउफ़ ये यादें. किसी का एक शेर याद आ रहा है:-
ReplyDeleteयाद में तेरी जहाँ को भूलता जाता हूँ मैं,
भूलने वाले कभी तुझको भी याद आता हूँ मैं.
किस- किस तरह से वो याद आये बहुत ...
ReplyDeleteयादों में घिरी सुन्दर कविता !
इंतज़ार के बारे में सुन्दर रचना !
ReplyDeleteपहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें
ReplyDeleteकई यादें होती ही हैं ऐसी जो बहुत सताती हैं, रुलाती हैं। भावुक प्रस्तुति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteविचार::पूर्णता
बहुत उदास सी गज़ल है पर अच्छी है.
ReplyDeleteसंवेदनशील .... अभिव्यक्ति.... यादें , आंसू और उदासी लिए.....अच्छी रचना ...
ReplyDeleteदिल को छूने वाले भाव
ReplyDelete...........अच्छी रचना ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
ReplyDelete.
ReplyDeleteजिंदगी में आने वाले मुसाफिर अपनी यादें छोड़ जाते हैं। याद आना तो स्वाभाविक है। स्मृतियाँ अगर मधुर हों तो स्मृतियों में डूबना अच्छा लगता है।
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कसक उठती रही आह बदती गई
ReplyDeleteग़मों के बोझ हमने उठाई बहुत........
एक अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें....
शब्दों और चित्रों का सुंदर सयोजन किया है अच्छा कलेवर बन पड़ा है.
सुन्दर रचना. इन पंक्तियों में जो दर्द भरा है वाही तो उसे सुन्दर बना रहा है.
ReplyDeleteSunder rachna k liye badhai sweekar karen.
ReplyDeletehttp://amrendra-shukla.blogspot.com
bahut sundar...
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