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Friday, September 17, 2010

आपत्ति

दहेज के लिए
बहू की हत्या के अभियोग में
नेता जी की पेशी हुई
जज के सामनें
वे मुस्कराये एवं
भाषण के अन्दाज में
सफाई देते हुए बोले--
"जब सारा देश
नाच सकता है
हमारी उगलियों पर
तब हमारी बहू को ही
भला क्या आपत्ति थी ।।'

( प्रकाशित 7 नव. 2004 स्वतंत्र वार्ता में)

10 comments:

  1. इसे विधायिका की न्यायपालिका को चुनौती माने..या दोनों का सामूहिक मज़ाक इस लोकतंत्र के प्रति.. अच्छी अभिव्यक्ति..

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  2. ओह नेताओं की सोच ...खतरनाक है

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  3. व्यंग्यात्मक मार्मिक कविता...

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  4. me hansu ya roun,
    kyunki krure vyang he
    bahut achha kaha he aapne

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  5. बहुत ही खतरनाक व्यंग।

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  6. कविता के माध्यम से प्रस्तुत किये गए आपके व्यंग्य बहुत ही करारे और धारदार होते हैं उपेन्द्र जी... पिछला वाला और ये दोनों सटीक मार करते हैं

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